UP: प्रोटेम सभापति के खिलाफ अविश्वास का प्रस्ताव नामंजूर, सपा सदस्यों ने सदन से किया बहिर्गमन

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 19 Feb, 2021 04:40 PM

up motion of no confidence against protem chairman rejected

भाजपा सदस्य कुंवर मानवेंद्र सिंह को उत्तर प्रदेश विधान परिषद के प्रोटेम सभापति पद से हटाए जाने के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) सदस्यों द्वारा पीठ के समक्ष प्रस्तुत अविश्वास प्रस्ताव शुक्रवार को नामंजूर कर दिया गया। इसके विरोध में सपा के सभी सदस्यों ने...

लखनऊ: भाजपा सदस्य कुंवर मानवेंद्र सिंह को उत्तर प्रदेश विधान परिषद के प्रोटेम सभापति पद से हटाए जाने के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) सदस्यों द्वारा पीठ के समक्ष प्रस्तुत अविश्वास प्रस्ताव शुक्रवार को नामंजूर कर दिया गया। इसके विरोध में सपा के सभी सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया। अधिष्ठाता (उप सभापति) सुरेश कुमार त्रिपाठी ने सपा सदस्यों द्वारा पेश अविश्वास संबंधी नोटिस और गत 5 फरवरी और 18 फरवरी को प्रस्तुत संकल्पों पर अपना निर्णय सुनाते हुए कहा कि "क्योंकि उत्तर प्रदेश विधान परिषद की प्रक्रिया तथा कार्यक्रम संचालन नियमावली 1956 का नियम 143, निर्वाचित सभापति और उपसभापति को पद से हटाए जाने के संबंध में है, इसलिए अब यह नियम सभापति और उपसभापति का पद रिक्त होने की दशा में राज्यपाल द्वारा सभापति के पद के दायित्वों के निर्वहन के लिए नियुक्त किए गए सभापति पर लागू नहीं होता।" 

उन्होंने कहा कि "सपा सदस्यों नरेश चंद्र उत्तम और राजपाल कश्यप द्वारा प्रस्तुत संकल्प में सामयिक सभापति शब्द का प्रयोग किया गया। अतः उपरोक्त नियम 143 के अंतर्गत दिया गया संकल्प स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है, लिहाजा यह संकल्प अग्राह्य किया जाता है।" त्रिपाठी ने सपा सदस्यों राजेश यादव और शशांक यादव द्वारा दिए गए संकल्प पर भी निर्णय सुनाते हुए कहा "क्योंकि उत्तर प्रदेश विधान परिषद की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली 1956 के नियम 17 (1) के अधीन सभापति निर्वाचन की तिथि राज्यपाल द्वारा नियत की जाती है इसलिए उनके द्वारा निर्वाचन की तिथि नियत किए जाने पर सभापति के निर्वाचन की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी। तदनुसार यह संकल्प भी स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है। इसके अलावा 18 फरवरी को दिए गए अन्य संकल्प को भी उपरोक्त तथ्यों के आधार पर अग्राह्य किया जाता है।" 

अधिष्ठाता के इस निर्णय पर सपा के सदस्य खिन्न दिखे। सदन में सपा और विपक्ष के नेता अहमद हसन ने कहा कि वह पीठ के निर्णय पर सवाल नहीं उठा रहे हैं लेकिन सदन में बहुमत होने के बावजूद सपा को उसका हक नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि इस निर्णय पर उन्हें बहुत दुख हुआ है। इसके बाद सपा के सभी सदस्य सरकार विरोधी नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चले गए। दरअसल, सपा सदस्यों ने प्रदेश विधान परिषद की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली 1956 के नियम 143 के तहत पीठ के समक्ष प्रस्ताव किया था कि वर्तमान 'सामयिक' सभापति में सदन को विश्वास नहीं है और सदन यह संकल्प लेता है कि सामयिक सभापति को उनके पद से हटाया जाए।

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने पिछले महीने भाजपा सदस्य कुंवर मानवेंद्र सिंह को विधान परिषद के प्रोटेम सभापति पद की शपथ दिलाई थी। राज्य विधान परिषद के 100 सदस्यीय सदन में 51 सदस्य रखने वाली समाजवादी पार्टी ने इसका विरोध करते हुए सभापति पद के लिए चुनाव की मांग की थी। उसका कहना था कि संख्या बल के लिहाज से समाजवादी पार्टी से ही सभापति चुना जाना चाहिए था। 
 

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