Edited By Ajay kumar,Updated: 18 Nov, 2020 01:55 PM
उत्तर प्रदेश में बहन-बेटियों से अत्याचार की बाढ़ सी आई हुई है। एक मामला शांत नहीं होता दूसरा सामने आ जाता है।
कैराना: उत्तर प्रदेश में बहन-बेटियों से अत्याचार की बाढ़ सी आई हुई है। एक मामला शांत नहीं होता दूसरा सामने आ जाता है। प्रदेश की योगी सरकार ने अपराधियों और मनचलों से निपटने के लिए एंटीरोमियों का गठन किया है बावजूद इसके कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। फर्क पड़े भी क्यों जब प्रदेश की एंटीरोमियों की प्रभारी खुद सुरक्षित नहीं हैं। उनके ही आला अफसर उनका शोषण कर रहे हैं।
ऐसा ही एक मामला प्रदेश के शामली से सामने आया है। थाना कैराना में तैनात एंटीरोमियों की महिला प्रभारी अंजू ने एसएचओ कैराना प्रेम डिगाना पर गंभीर आरोप लगाया है। पीड़ित महिला का आरोप है कि एसएचओ उनके ऊपर अनावश्यक रूप से दबाव बनाता है। मैं अगर उनकी बात नहीं मानती हूं तो वह मेरी रिपोर्ट लिख देता है। मैं सुबह 7-8 बजे से रात 8 बजे तक कार्य करती हूं। किसी किसी मामले में एसएचओ खुद हमारे साथ जाते हैं और रात में 10 भी बज जाते हैं। मैं 16-17 घंटे भी ड्यूटी करती हूं उसके बावजूद वह मुझे सभी के सामने निकम्मा कहते हैं। सभी से कहते हैं कि यह कुछ काम नहीं करती। अगर किसी परेशानी के चलते मैं अब्सेंट हो जाती हूं तो मुझे टार्चर करते हैं और रिपोर्ट लिख देते हैं।
आपने मामले की शिकायत उच्च अधिकारियों से क्यों नहीं कि के सवाल पर पीड़िता ने बताया कि मैंने एसएचओ की शिकायत की थी। मैं कप्तान साहब के पास गई लेकिन वह त्योहार की वजह से मौके पर मौजूद नहीं थे। आज भी मैं गई थी लेकिन मौजूद नहीं थे। उसके बाद मैं सहारनपुर डीआईजी के पास गई उन्होंने कहा कि ठीक हैंम मैं मामले को संज्ञान में लूंगा।
क्या चाहती हैं के सवाल पर पीड़िता ने कहा कि मैं चाहती हूं कि जिस तरह से प्रदेश में महिला सशक्तिकरण चल रहा है। मैं खुद एंटी रोमियो प्रभारी हूं, जब मेरा शोषण हो रहा है तो मैं महिलाओं को कैसे इंसाफ दिला सकती हूं।
जांच के आदेश दिए गए हैं, दोषी के खिलाफ की जाएगी कार्रवाई: उच्च अधिकारी
मामले को लेकर जब उच्च अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि एंटी रोमियो प्रभारी अंजू द्वारा एसएचओ पर ड्यूटी को लेकर कुछ आरोप लगाए गए हैं। इस संबंध में थाना क्षेत्राधिकारी से इस प्रकरण की जांच कराई जा रही है। इस प्रकरण में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
सवाल ये उठता है कि जब प्रदेश में महिला सशक्तिकरण की एंटीरोमियों की प्रभारी खुद सुरक्षित नहीं हैं तो जनता कितनी सुरक्षित है इसका बखूबी अंदाजा लगाया जा सकता है।