Edited By Anil Kapoor,Updated: 08 Jan, 2019 09:37 AM
केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार पिछड़ों को आपस में लड़ाना चाहती है। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए सरकार से जाति के आधार पर जनगणना कराने की मांग की...
लखनऊ: केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार पिछड़ों को आपस में लड़ाना चाहती है। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए सरकार से जाति के आधार पर जनगणना कराने की मांग की और कहा कि ऐसा नहीं होने पर यह माना जाएगा कि भाजपा इस समिति की रिपोर्ट के जरिए पिछड़ों को बांटना चाहती है।
अपना दल-सोनेलाल की संरक्षक अनुप्रिया ने कार्यकर्ता सम्मेलन में कहा कि पिछले साल राज्य सरकार को सौंपी गई सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट में पिछड़े वर्ग को पिछड़ा, अति पिछड़ा और सर्वाधिक पिछड़ा श्रेणियों में बांटने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी आरक्षण के वर्गीकरण के खिलाफ नहीं है लेकिन जातियों की आबादी के अध्ययन के बगैर ऐसा नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने जातियों की आबादी का कोई अध्ययन किया है तो वह उसे जनता के सामने रखे। अगर नहीं किया है तो सामाजिक न्याय समिति की सिफारिशों का कोई आधार ही नहीं है। आरक्षण के वर्गीकरण के लिए जातीय जनगणना करानी ही होगी। जरूरत पड़े तो पिछड़ों के आरक्षण को 27 प्रतिशत से बढ़ाया जाए। अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो उसकी मंशा पर सवाल उठेंगे। हम यही मानेंगे कि भाजपा पिछड़ों को आरक्षण के नाम पर बांटना चाहती है। अनुप्रिया ने कहा कि उनका भी मानना है ‘जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी’ होनी चाहिए। आरक्षण तो आबादी के अनुपात में ही मिलना चाहिए।
मालूम हो कि राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मई 2018 में न्यायमूर्ति राघवेन्द्र कुमार की अध्यक्षता में 4 सदस्यीय समिति गठित की थी। इसका उद्देश्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण में आरक्षण उपलब्ध कराने की सम्भावनाओं का अध्ययन करना था। समिति ने अपनी रिपोर्ट में पिछड़ों को 3 श्रेणियों में बांटने की सिफारिश की थी। हालांकि उसकी तमाम सिफारिशों के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं है।