PF घोटाले में यूपी सरकार ने लिया एक्शन, CBI को सौंपी जांच

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 04 Nov, 2019 01:25 PM

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उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के कर्मचारियों की भविष्य निधि(पीएफ) के करीब 2,600 करोड़ रुपए का अनियमित तरीके से निवेश किए जाने के मामले में यूपी सरकार ने एक्शन लिया है। सरकार ने सीबीआई को इस मामले की जांच सौंप दी है। करीब 45 हजार कर्मियों का इसमें पैसा...

लखनऊः उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के कर्मचारियों की भविष्य निधि(पीएफ) के करीब 2,600 करोड़ रुपए का अनियमित तरीके से निवेश किए जाने के मामले में यूपी सरकार ने एक्शन लिया है। सरकार ने सीबीआई को इस मामले की जांच सौंप दी है। करीब 45 हजार कर्मियों का इसमें पैसा फंसा हुआ है। वहीं रविवार को ऊर्जा मंत्री ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि हम इस बड़े घोटाले की जांच करा रहे हैं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीबीआई जांच की संस्तुति भी कर दी है।

वहीं इस घोटाले के लेकर विपक्ष योगी सरकार को निशाने पर ले रहा है। जिसके चलते पक्ष-विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरु हो गया है। उर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के शासनकाल में इस भ्रष्टाचार का दरवाजा खोले जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि माफिया सरगना दाऊद इब्राहीम से कथित तौर पर जुड़ी कम्पनी डीएचएफएल में पीएफ निवेश कराने वाली पूर्ववर्ती सरकार के मुखिया रहे अखिलेश उस कम्पनी से अपने रिश्तों के बारे में बताएं।

वहीं, सपा ने 'ट्वीट' कर कहा कि डीएचएफएल से चंदा लेने वाले बिजली मंत्री बतायें कि 'ये रिश्ता क्या कहलाता है?' ऊर्जा मंत्री ने कहा कि अखिलेश के शासनकाल में 21 अप्रैल 2014 को सीपीएफ ट्रस्ट और जनरल प्रॉविडेंट फंड ट्रस्ट के बोर्ड आफ ट्रस्टी ने यह निर्णय लिया था कि राष्ट्रीयकृत बैंकों में जमा की जाने वाली जीपीएफ और सीपीएफ धनराशि पर अगर बैंक निवेश की तरह सुरक्षित और अधिक ब्याज देने वाले विकल्प हो तो उसमें निवेश किया जाए। उसके बाद 17 मार्च 2017 से पॉवर कॉरपोरेशन के संज्ञान में लाये बगैर निजी क्षेत्र की संस्था डीएचएफएल में निवेश शुरू कर दिया गया।

मालूम हो कि उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के कर्मचारियों की भविष्य निधि को संबंधित ट्रस्ट के अधिकृत प्रतिनिधियों द्वारा गलत तरीके से निजी संस्था डीएचएफएल में निवेश किए जाने के मामले में शनिवार को सीपीएफ ट्रस्ट और जीपीएफ ट्रस्ट के तत्कालीन सचिव पीके गुप्ता और तत्कालीन निदेशक (वित्त) एवं सह ट्रस्टी सुधांशु द्विवेदी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है। सरकार ने मामले की सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश की है। सीबीआई द्वारा मामला हाथ में न लिए जाने तक प्रकरण की जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा से कराई जाएगी।






 

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