UP by-election: देवरिया में हाशिये पर नजर आ रही कांग्रेस, सपा-बसपा और भाजपा में दिख रही लड़ाई

Edited By Umakant yadav,Updated: 25 Oct, 2020 02:50 PM

up by election congress seen in marginalized congress

उत्तर प्रदेश के देवरिया सदर सीट पर आगामी तीन नवम्बर को हो रहे उपचुनाव में कभी देश की शीर्ष राजनीतिक पार्टी कहीं जानेवाली कांग्रेस हाशिये पर नजर आ रही है। चार प्रमुख पाटिर्यों ने चार ब्राह्मण उम्मीदवारों को यहां...

देवरिया: उत्तर प्रदेश के देवरिया सदर सीट पर आगामी तीन नवम्बर को हो रहे उपचुनाव में कभी देश की शीर्ष राजनीतिक पार्टी कहीं जानेवाली कांग्रेस हाशिये पर नजर आ रही है। चार प्रमुख पाटिर्यों ने चार ब्राह्मण उम्मीदवारों को यहां से मैदान में उतार कर लड़ाई को रोचक बना दिया है। भाजपा ने स्थानीय नेता सत्य प्रकाश मणि त्रिपाठी, सपा ने पूर्व मंत्री ब्रह्माशंकर तिवारी, बसपा ने यहां से कभी लेखपाल रहे अभय नाथ त्रिपाठी को तो कांग्रेस ने मुकुंद भास्कर मणि त्रिपाठी को चुनाव मैदान में उतारा है।

दिलचस्प है कि ब्राह्मण बाहुल्य मतदाताओं वाली इस सीट पर 1991 से कोई ब्राह्मण उम्मीदवार जीत दर्ज नहीं कर सका है। यहां से अंतिम बार ब्राह्मण उम्मीदवार के रूप में जनता दल से राम छबिला मिश्र ने जीत दर्ज की थी। देवरिया सदर विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 3 लाख 34 हजार 177 है। जिसमें करीब तीस फीसदी ब्राह्मण हैं। उपचुनाव में अबतक की स्थिति में भाजपा, सपा और बसपा में लड़ाई दिख रही है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने यहां अपने प्रचार अभियान को गति देने के लिए चित्रकूट से पार्टी विधायक आलोक शुक्ला, बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी, प्रतापगढ़ से सांसद जायसवाल जी, राज्य मंत्री जय प्रकाश निषाद के साथ साथ कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही को मैदान में उतारा है।

वहीं सपा उम्मीदवार ब्रह्माशंकर तिवारी भी अपने प्रचार अभियान को अकेले चलो के तर्ज पर गति दे रहे हैं। तिवारी को उम्मीद है कि पार्टी के परम्परागत यादव और मुसलमानों के साथ ब्राह्मण वोटों से वह विजय प्राप्त कर सकते हैं। सपा पार्टी प्रत्याशी के प्रचार के लिये कार्यकर्ताओं की टीम गांव-गांव जाकर प्रचार करती दिख रही हैं।

बसपा प्रत्याशी अभय नाथ त्रिपाठी बसपा के परम्परागत वोटों के सहारे तथा ब्राह्मण मतदाताओं को अपने पाले में करने लिए अपने प्रचार अभियान को गति दे रहे हैं। लेखपाल की नौकरी से इस्तीफा देकर राजनीति में अपना भाग्य आजमा रहे त्रिपाठी पिछले विधानसभा चुनाव में भी यहां से अपना भाग्य आजमा चुके हैं। लेकिन उनको उस चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा था। कभी देश की शीर्ष राजनीतिक पार्टी कहीं जानेवाली कांग्रेस का प्रचार अभियान दिख नहीं रहा है। कांग्रेस से टिकट मिलने के बाद कांग्रेस प्रत्याशी मुकुंद भास्कर मणि को अपने ही दफ्तर में महिला कार्यकर्ताओं के विरोध का सामना करना पड़ा था और इस विरोध विवाद में कोतवाली सदर थाने में मुकदमा भी दर्ज है। कांग्रेस प्रत्याशी रेप के भी आरोपी हैं।

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