Edited By Umakant yadav,Updated: 14 Sep, 2020 11:35 AM
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव 2020 का कार्यकाल 25 दिसंबर को समाप्त होने जा रहा है। इस बार दोबारा इलेक्शन लड़ने की तैयारी कर रहे ग्राम प्रधान, बीडीसी और जिला पंचायत सदस्यों का सपना केवल सपना ही रह जाएगा।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव 2020 का कार्यकाल 25 दिसंबर को समाप्त होने जा रहा है। इस बार दोबारा इलेक्शन लड़ने की तैयारी कर रहे ग्राम प्रधान, बीडीसी और जिला पंचायत सदस्यों का सपना केवल सपना ही रह जाएगा। दसअसल, 80 प्रतिशत ग्राम प्रधान, बीडीसी और जिला पंचायत सदस्यों ने चुनाव खर्च को जमा नहीं कराया है। साथ ही चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों का गंभीरता से पालन नहीं किया है।
80 % लोगों ने चुनाव आयोग के निर्देशों का नहीं किया पालन
बता दें कि कोरोना संक्रमण के चलते नवंबर-दिसंबर में होने वाले त्रिस्तरीय चुनाव समय पर नहीं हो पाएंगे। चुनाव अगले साल 2021 के अप्रैल-मई माह में होने की संभावना जताई जा रही है। इस बार चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे मौजूदा प्रधान, बीडीसी व जिला पंचायत सदस्यों पर चुनाव आयोग की निगाह टिकी हुई है। क्योंकि इनमें से अस्सी प्रतिशत लोगों ने चुनाव आयोग के नियमों, दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया है।
आगामी चुनाव में नामांकन के समय देखा जाएगा ब्योरा
चुनाव के समय आयोग की ओर से चुनाव में होने वाले खर्च का ब्योरा जमा करने के निर्देश दिए गए थे। साथ ही चुनाव में हुए खर्च का ब्योरा नहीं देने वालों को चुनाव लड़ने के लिए आयोग्य घोषित होने की हिदायत भी दी गई थी। इसके बावजूद चुनाव में जीतने और हारने वाले लगभग 80 प्रतिशत लोगों ने इसका पालन नहीं किया है। अब आगामी चुनाव में नामांकन के समय यह देखा जाएगा कि किसने ब्योरा दिया है और किसने नहीं दिया है। जिन लोगों ने ब्योरा नहीं दिया है उन्हें चुनाव लड़ने के लिए आयोग्य माना जा सकता है।