उन्नाव गैंगरेप केस: पीड़िता के चाचा ने विधायक से बताया जान को खतरा, कहा- मेरा भतीजा 4 दिन से लापता

Edited By Deepika Rajput,Updated: 15 Apr, 2018 11:36 AM

उन्नाव में भाजपा विधायक द्वारा लड़की के साथ कथित रूप से बलात्कार किए जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। वहीं अब पीड़िता के चाचा ने बीजेपी विधायक और उसके भाई अतुल सिंह से अपनी जान को खतरा बताया है।

उन्नावः उन्नाव में भाजपा विधायक द्वारा लड़की के साथ कथित रूप से बलात्कार किए जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। वहीं अब पीड़िता के चाचा ने बीजेपी विधायक और उसके भाई अतुल सिंह से अपनी जान को खतरा बताया है।

उन्होंने कहा कि मेरा भतीजा 4 दिन से लापता है। विधायक के गुर्ग शहर में टहल रहे हैं। हमारे पल-पल का वीडियो बनाया जा रहा है। जेल से अतुल अपने गुर्गों से बात कर रहा है। इसके लिए पुलिस उसकी मदद कर रही है। विधायक और उसके भाई से हमारे परिवार को खतरा है।

बता दें कि, शनिवार को पीड़िता पूरे परिवार सहित राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंची थी। इस मामले में सीबीआई ने शुक्रवार को विधायक सेंगर का मेडिकल भी कराया था। उन्नाव के इस कांड में सीबीआई की तरफ से अभी तक 3 केस दर्ज किए गए हैं। सीबीआई ने सामूहिक दुष्कर्म के मामले में सेंगर से 16 घंटे की पूछताछ के बाद रात को गिरफ्तार किया था। सीबीआई कुलदीप सेंगर को अदालत में पेश करके ट्रांजिट रिमांड के लिए याचिका भी दाखिल करेगी।

गौरतलब है कि यह मामला उस समय सुर्खियों में आ गया जब पीड़िता ने मुख्यमंत्री आवास के पास पिछले सप्ताह आत्ममदाह का प्रयास किया था। इसके बाद आनन-फानन में एसआईटी का गठन किया गया। एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर ही विधायक के खिलाफ उन्नाव के माखी थाने में रिपोर्ट दर्ज हुई। बलात्कार की घटना के बाद तीस जून 2017 को पीड़िता के चाचा उसे लेकर दिल्ली चले गए थे।

इस संबंध में पहली रिपोर्ट पीड़िता ने 17 अगस्त 2017 को दर्ज कराई थी। पीड़िता के चाचा ने आरोप लगाया था कि मुकदमे की वापसी के लिए उसके भाई पर दबाव बनाया जा रहा था। मुकदमा वापस नहीं लेने के कारण उसके भाई को मारा पीटा और फर्जी मुकदमों में जेल तक भिजवा दिया। उन्हें इतना मारा गया था कि जेल से अस्पताल लाने पर उनकी मौत हो गई थी।

पुलिस के अनुसार रिपोर्ट में कहा गया है कि जेल जाने से पहले और जेल में जाने के बाद पीड़िता के पिता की समुचित चिकित्सा नहीं की गई। इसलिए अस्पताल के मुख्य चिकित्साधीक्षक और इमरजेंसी मेडिकल अफसर को निलंबित कर दिया गया, जबकि 3 अन्य डाक्टरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया। मामले के सुर्खियों में आने पर विपक्षी दलों ने सरकार की आलोचना शुरु कर दी थी।  
 

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