उन्नाव गैंगरेप केस: परिवार सहित पीड़िता पहुंची राम मनोहर लोहिया अस्पताल

Edited By Deepika Rajput,Updated: 14 Apr, 2018 12:38 PM

उन्नाव गैंगरेप की पीड़िता परिवार सहित लखनऊ के राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंच चुकी है। सूत्रों के अनुसार यहां पीड़िता का मेडिकल कराया जाना है।

उन्नावः उत्तर प्रदेश में उन्नाव के बांगरमऊ से भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर सामूहिक बलात्कार का आरोप लगाने वाली किशोरी तथा उसके परिजनों को लेकर केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की टीम लखनऊ पहुंच गई है।
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आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि विधायक पर बलात्कार का आरोप लगाने वाली पीड़िता तथा उसके परिवार को सीबीआई टीम सुबह उन्नाव से लखनऊ के रवाना हुई थी। किशोरी तथा उसका परिवार लखनऊ में सीबीआई के आफिस पहुंच चुका है। सीबीआई टीम पीड़िता का मेडिकल परीक्षण कराएगी। टीम पीड़िता की मां, उसकी बहिन, भाई तथा उसके चाचा को लेकर लखनऊ पहुंची है।
PunjabKesariवहीं इस बीच पीड़िता के चाचा ने आरोप लगाया है कि पूरा उन्नाव प्रशासन आरोपी विधायक को बचाने में लगा हुआ था। मेडिकल के बाद सीबीआई की टीम पीड़िता से लखनऊ में भी पूछताछ करेगी। इस मामले में सीबीआई ने शुक्रवार को विधायक सेंगर का मेडिकल भी कराया था। उन्नाव के इस कांड में सीबीआई की तरफ से अभी तक 3 केस दर्ज किए गए हैं। सीबीआई ने सामूहिक दुष्कर्म के मामले में सेंगर से 16 घंटे की पूछताछ के बाद रात को गिरफ्तार किया था। सीबीआई कुलदीप सेंगर को अदालत में पेश करके ट्रांजिट रिमांड के लिए याचिका भी दाखिल करेगी।

बता दें कि यह मामला उस समय सुर्खियों में आ गया जब पीड़िता ने मुख्यमंत्री आवास के पास पिछले सप्ताह आत्ममदाह का प्रयास किया था। इसके बाद आनन-फानन में एसआईटी का गठन किया गया। एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर ही विधायक के खिलाफ उन्नाव के माखी थाने में रिपोर्ट दर्ज हुई। बलात्कार की घटना के बाद तीस जून 2017 को पीड़िता के चाचा उसे लेकर दिल्ली चले गए थे।

इस संबंध में पहली रिपोर्ट पीड़िता ने 17 अगस्त 2017 को दर्ज कराई थी। पीड़िता के चाचा ने आरोप लगाया था कि मुकदमे की वापसी के लिए उसके भाई पर दबाव बनाया जा रहा था। मुकदमा वापस नहीं लेने के कारण उसके भाई को मारा पीटा और फर्जी मुकदमों में जेल तक भिजवा दिया। उन्हें इतना मारा गया था कि जेल से अस्पताल लाने पर उनकी मौत हो गई थी।

पुलिस के अनुसार रिपोर्ट में कहा गया है कि जेल जाने से पहले और जेल में जाने के बाद पीड़िता के पिता की समुचित चिकित्सा नहीं की गई। इसलिए अस्पताल के मुख्य चिकित्साधीक्षक और इमरजेंसी मेडिकल अफसर को निलंबित कर दिया गया, जबकि 3 अन्य डाक्टरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया। मामले के सुर्खियों में आने पर विपक्षी दलों ने सरकार की आलोचना शुरु कर दी थी।  



 

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