Edited By Ajay kumar,Updated: 19 Dec, 2019 01:40 PM
कहते हैं कि भगवान को जो चाहता है वह सबसे पहले भक्तों को पता चल जाता है। वह बेसन का मोदक हो, माखन हो या और कुछ, देश भर में ठंड ने अपना असर दिखाना शुरु कर दिया है। हाड़ कंपाती...
वाराणसीः कहते हैं कि भगवान को जो चाहता है वह सबसे पहले भक्तों को पता चल जाता है। वह बेसन का मोदक हो, माखन हो या और कुछ, देश भर में ठंड ने अपना असर दिखाना शुरु कर दिया है। हाड़ कंपाती ठंड ने हिम्मत बांध कर रख दिया है। ऐसे में धर्म की नगरी वाराणसी में भक्तों ने भगवान को ठंड से बचाने की कवायद शुरू कर दी है। जिसके तहत भक्तों ने बड़ा गणेश मंदिर में भगवान को रजाई और कम्बलों से ढंक दिया है।यही नहीं भगवान गणेश की सवारी मूषक राजा को भी इस ठिठुरन वाली ठंड से बचाने के लिए शॉल पहनाई गई है। साथ ही राहत के लिए अलाव भी जलाया है। भगवान शंकर को भी ठंड से बचाने के लिए शॉल ओढ़ाया गया है।
सब भावना से जुड़ी बात है
एक भक्त रीता के अनुसार यह आश्चर्य की बात नहीं है कि दुनिया को चलाने वाले ईश्वर को ठंड से बचाने के लिए रजाई, कंबल का सहारा लेना पड़ रहा है। हम जगरनाथ महाराज को सर्दी से बचाने के लिए काढ़ा पिलाते हैं, जन्माष्टमी मनाते हैं। यह सब भावना से जुड़ी बात है, आस्था और विश्वास की डोर है।
हर साल भगवान पाते हैं, गर्म कपड़े
बता दें कि धर्म नगरी में भक्तगण हर साल भगवान को गर्म कपड़े ओढ़ाते हैं। दुर्गा मंदिर, संकट मोचन, विश्वनाथ मंदिर से लेकर छोटे-छोटे मंदिरों में भी भगवान गर्म कपड़ों और अलाव के बीच पाए गए। भक्त हर साल अपने भगवान को बचाने के लिए यह कवायद करते हैं।