2019 के चुनाव में जातिवाद पर भारी पड़ रहा विकासवाद : मनोज सिन्हा

Edited By Deepika Rajput,Updated: 16 May, 2019 11:47 AM

union minister manoj sinha statement

केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा का कहना है कि इस चुनाव में गाजीपुर को अपराध, बाहुबल और जातिवाद के चंगुल से मुक्त कर अगले 5 साल में वाराणसी के साथ ‘ट्विन सिटी‘ के मॉडल पर विकसित किया जाएगा।

गाजीपुरः केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा का कहना है कि लोकसभा चुनाव में गाजीपुर को अपराध, बाहुबल और जातिवाद के चंगुल से मुक्त कर अगले 5 साल में वाराणसी के साथ ‘ट्विन सिटी‘ के मॉडल पर विकसित किया जाएगा। जहां खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा देकर बेरोजगारी को समाप्त किया जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि 2019 के चुनाव में विकासवाद, जातिवाद पर भारी पड़ रहा है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में खास तौर पर गाजीपुर एवं आसपास के क्षेत्रों में जातिवाद की दीवार में दरार आ गई थी। बीजेपी को समाज के सभी वर्गों का समर्थन मिल रहा है। अभी तक क्षेत्रीय दल जाति और धर्म के नाम पर वोट बांटने और उसकी आड़ में भ्रष्टाचार को छिपाने का काम करते रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार के कार्यकाल में विकास कार्यों के कारण लोगों में यह भ्रम टूटा है। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में जनता ने अपराध, बाहुबल और भय को गाजीपुर से पूरी तरह से बाहर कर देने की ठान ली है। चुनाव आयोग और उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार भी अपराधियों पर नियंत्रण रखने के लिए कटिबद्ध है।

गाजीपुर में गठबंधन से चुनौती के सवाल पर सिन्हा ने कहा कि यहां बसपा कभी जीती नहीं है। पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में सपा भी नंबर दो पर रही। पता नहीं क्यों, सपा ने यह सीट बसपा को दे दी। अफजाल अंसारी को प्रत्याशी बनाए जाने पर उन्होंने कहा कि अंसारी वही शख्स हैं जिनके कारण सपा के अंदर की दरार सामने आई थी। 2014 में अखिलेश यादव ने कौमी एकता दल के नेता अंसारी को सपा का टिकट देने से मना कर दिया था। तब अंसारी ने कहा था कि वह गाजीपुर से लेकर गाजियाबाद तक साइकिल पंचर कर देंगे। किन परिस्थितियों में सपा के कार्यकर्ता अंसारी का समर्थन करेंगे, यह समझ से परे है।

यूपी की सबसे कठिन संसदीय सीटों में शुमार होने वाली गाजीपुर में 2014 में मनोज सिन्हा बीजेपी के प्रत्याशी के रूप में विजयी हुए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में रेल राज्यमंत्री और संचार मंत्री के तौर पर उनके काम की क्षेत्र में हर कहीं सराहना हो रही है, लेकिन इस बार सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार अफजाल अंसारी से उन्हें कड़ी चुनौती मिल रही है। हालांकि, सिन्हा बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे अंसारी को चुनौती नहीं मानते हैं।
 

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