UP से बेखबर योगी 'बंगाल और असम' की कानून व्यवस्था सुधारने में व्यस्त: अखिलेश

Edited By Umakant yadav,Updated: 17 Mar, 2021 07:59 PM

unaware of up yogi busy in improving law and order in bengal and assam

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश और इसकी राजधानी लखनऊ में अपराधी बेलगाम हैं परन्तु मुख्यमंत्री इससे बेखबर पश्चिम बंगाल और असम में कानून व्यवस्था सुधारने में व्यस्त हैं।

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश और इसकी राजधानी लखनऊ में अपराधी बेलगाम हैं परन्तु मुख्यमंत्री इससे बेखबर पश्चिम बंगाल और असम में कानून व्यवस्था सुधारने में व्यस्त हैं। उन्होंने जारी बयान में कहा कि भाजपा का यही तरीका है कि वह जनता के बुनियादी मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए जादुई जुमले उछालने लगती है। झूठे आंकड़ों से जनता को भ्रमित करने की चाहे जितने तिकड़में सत्तारूढ़ दल करे, उसमें अब वह सफल होने वाली नहीं है। सभी को भाजपा के दावों में छुपे सच का पता चल गया है और वह झूठों को अगले विधानसभा चुनाव में सही सबक देगी।

महिलाओं एवं बच्चियों के साथ अपराध में राजधानी लखनऊ अव्वल नम्बर पर आ गया है। नेशनल क्राइम ब्यूरों 2019 रिकार्ड के अनुसार 3390 मामले दर्ज हुए। कोई दिन ऐसा नहीं जाता जब लूट, अपहरण, हत्या और दुष्कर्म की घटनाएं न होती हों। पुलिस की छाया में डकैतियां पड़ जाती है। गम्भीर घटनाओं तक की विवेचना में लापरवाही बरते जाने पर न्यायालयों ने कई बार अपनी सख्त टिप्पणियां की हैं और सरकार को भी फटकार लगाई है।   जहां तक महिलाओं और बच्चियों से सम्बन्धित अपराधों का सवाल है इनका ग्राफ भाजपा राज में लगातार ऊंचाई की तरफ बढ़ता जा रहा है। गजरौला में किशोरी से, आगरा में छात्रा से दुष्कर्म की घटनाएं हुई तो झांसी में छेड़खानी से परेशान युवती ने फांसी लगा ली। सुल्तानपुर में बच्चे की गर्दन पर चाकू रखकर मां से 8 लाख की लूट की गई। कन्नौज में महिला से और हरदोई में किशोरी से दुष्कर्म हुआ।       

गोरखपुर में मां को खेत में धक्का देकर बेटी को उठा ले गए बदमाश। इटावा में 4 वर्षीय और आगरा में 8 वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म। लखनऊ में घर में घुसकर महिला को गोली मारी गई। महिला अपराधों को रोकने के लिए खोखले दावे करने वाली भाजपा सरकार और उसके मुख्यमंत्री पूरी तरह नाकाम हो चुके हैं।       

पुलिस का मनोबल गिरा हुआ है। अपराधी सत्ता संरक्षित होने से निडर है कि उन पर हाथ डालने वाला पुलिस कर्मी ही निलम्बित होगा। इसलिए असल अपराधी को पकड़ने के बजाय आला अफसर फर्जी एनकाउण्टरों से वाहवाही ले रहे हैं या हिरासत में मौतों को अंजाम दे रहे हैं।

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