लोकसभा चुनाव-2019 से पहले उमा भारती ने एक बार फिर खेला बुंदेलखंड कार्ड

Edited By Anil Kapoor,Updated: 18 Apr, 2018 02:21 PM

uma bharti again played bundelkhand card before lok sabha elections

केंद्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री उमा भारती ने अगले वर्ष होने जा रहे लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर बुंदेलखंड कार्ड खेला है, उन्होंने भाजपा सरकार के होते हुए बुंदेलखंड अलग राज्य नहीं बन पाने के लिए मध्यप्रदेश के लोगों को जिम्मेदार ठहराया है....

झांसी: केंद्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री उमा भारती ने अगले वर्ष होने जा रहे लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर बुंदेलखंड कार्ड खेला है, उन्होंने भाजपा सरकार के होते हुए बुंदेलखंड अलग राज्य नहीं बन पाने के लिए मध्यप्रदेश के लोगों को जिम्मेदार ठहराया है, इस तरह उन्होंने इस मामले में गेंद शिवराज सिंह चौहान के पाले में फेंक दी है।

अब एक बार फिर 2019 के चुनाव से ठीक कुछ समय पहले स्थानीय लोगों में ‘दीदी’ के नाम से मशहूर उमा भारती का बुंदेलखंड प्यार अचानक फिर जगता नजर आने लगा है और इसी की एक बानगी बुंदेलखंड के लोगों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जनसभा में देखने को मिली, मौका था बुंदेलखंड क्षेत्र मे बनने जा रहे डिफेंस कॉरिडोर और फूड पार्क के बारे में लोगों को जानकारी देना। इस दौरान जनसभा में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की भी मौजूदगी रही।

इस जनसभा में मंच पर आते ही लोगों की नाराजगी से अच्छी तरह वाकिफ उमा भारती ने कहा कि राज्य तो बहुत पहले बन जाता लेकिन मध्य प्रदेश के इलाके बुंदेलखंड राज्य का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं और ऐसे में जो इलाका केवल उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में आता है वह पृथक बुंदलेखंड राज्य के लिए पर्याप्त नहीं है। पृथक बुंदेलखंड के लिए संघर्ष करने वाले संगठनों से भारती ने कहा कि अगर आप लोग बुंदेलखंड की सीमा रेखा पहचान कर बता दें तो जब भी राज्य पुर्नगर्ठन आयोग का गठन होगा तो उनकी पार्टी बुंदेलखंड राज्य का पूरा पूरा समर्थन करेगी। इस तरह 2014 की जीत के बाद अभी तक पृथक राज्य नहीं बन पाने की जिम्मेदारी वह मध्यप्रदेश पर डालकर अगले चुनाव में फिर जीत दिलाने का आग्रह करती नजर आईं।

उमा भारती ने 2014 के चुनाव मे जीत के बाद भी 3 साल के अंदर बुंदेलखंड राज्य के निर्माण के वादे इरादे लोगों से किए और खूब राजनीति की। बुंदेलखंड की इस बेटी पर भी लोगों ने पूरा भरोसा जताया लेकिन जीत के बाद के वर्षों में दीदी ने जो किया वह किसी से छिपा नहीं है। 3 साल में अलग राज्य बनना तो दूर जीत के बाद 3 साल तक क्षेत्रीय सांसद इस क्षेत्र में यदा कदा ही नजर आईं। लोगों के बीच इस दौरान यह जुमला हास परिहास का केंद्र बन गया कि दीदी को किसी ने देखा है क्या।

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