Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 23 Mar, 2019 06:57 PM
देश और दुनिया के इतिहास में यूं तो कई घटनाएं दर्ज हैं, लेकिन 23 मार्च 1931 की घटना देश के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण और कभी ना भुलाए जाने वाली घटना है, जिसे याद कर आज भी शरीर में जोश दौड़ जाता है और रोंगटे भी खड़े हो जाते हैं। जी हां 23...
यूपी डेस्कः देश और दुनिया के इतिहास में यूं तो कई घटनाएं दर्ज हैं, लेकिन 23 मार्च 1931 की घटना देश के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण और कभी ना भुलाए जाने वाली घटना है, जिसे याद कर आज भी शरीर में जोश दौड़ जाता है और रोंगटे भी खड़े हो जाते हैं। जी हां 23 मार्च 1931 का वो दिन जब आजादी की लड़ाई लड़ रहे तीन क्रांतिकारियों भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई।
अजीब इतेफाक ये था कि इन क्रांतिकारियों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद सभी आंसू बहा रहे थे, लेकिन क्रांतिकारी वीरों को माथे पर मौत के खौफ की एक भी शिकन तक नहीं थी। वहीं जेल के अधिकारी और कर्मचारी भी इन शूरवीरों के गले में फंदा डालते हुए घबरा रहे थे।
8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने सेंट्रल असेंबली में बम फेंके। घटना के बाद भगत सिंह भागने के बजाय डटे रहे और खुद को अंग्रेजों के हवाले कर दिया। करीब दो साल जेल में रहने के बाद भगत सिंह को राजगुरु और सुखदेव के साथ फांसी पर चढ़ा दिया गया था। आज उनकी शहीदी दिवस के मौके पर देखिए कुछ अनदेखी चीजें।
भगत सिंह और उनके साथियों ने असेंबली बम केस में इसी गोले का इस्तेमाल किया था। लाहौर की सीआईडी ने ये गोला बरामद किया था। (सभी फोटो- supremecourtofindia.nic.in)
भगत सिंह ने अपनी इस घड़ी को क्रांतिकारी जयदेव कपूर को तोहफे में दे दिया था।
भगत सिंह की कमीज
भगत सिंह के जूते, जो उन्होंने जयदेव कपूर को तोहफे में दिए थे।
पीतल के दवात बम, इसमें कलम डालते ही ये फट जाते थे। ये लाहौर असेंबली में जजों की टेबल पर रखे गए थे।
भगत सिंह के घर में रखा पुराना पलंग
खटकर कलां में ही पंजाब की सरकार ने भगत सिंह की याद में एक संग्रहालय बनाया। उसी तरह रसोई घर में रखे बर्तन भी हैं।
भगत सिंह का घर