इस प्यारी-सी बिटिया ने जज को चिट्ठी भेज कर रखी ये मांग, कहा- प्लीज दें दीजिए परमिशन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Oct, 2017 10:19 AM

this beloved bitia sent the letter to the judge permission

प्रदेश के जिला प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के 1 नवंबर तक दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में पटाखों की बिक्री पर रोक के आदेश दे दिए ....

हापुड़ः प्रदेश के जिला प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के 1 नवंबर तक दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में पटाखों की बिक्री पर रोक के आदेश दे दिए हैं। जिसके बाद पटाखों की कई दुकानों के  लाइसेंस भी रद्द कर दिए गए हैं। वहीं हापुड़ की मासूम बच्ची ने सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी लिखकर पटाखे जलाने की इजाजत मांगी है।

बता दें कि पिलखुवा इलाके के किशनगंज में रहने वाली लुभा पंडित ने लेटर लिखकर सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है कि इस दिवाली कम से कम फुलझड़ी छोड़ने की इजाजत दी जाए। 8 साल की लुभा पंडित ने मा. मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट के नाम प्रेषित एक पत्र के माध्यम से दिल्ली-एनसीआर में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से लगाई गई पटाखे छोडने की पाबंदी पर बच्चों के लिए कुछ छूट देते की एक भावनात्मक प्रार्थना की है।

फुलझड़ी जलाने की मांगी परमिशन
 बच्ची ने पत्र में जज अंकल लिख कर दिवाली के पावन अवसर पर अत्यंत हर्षोल्लास से मनाए जाने वाले इस त्यौहार के मद्देनजर बच्चों के बीच इस विशेष पर्व पर छोटे-मोटे पटाखों की उपयोगिता, अनिवार्यता एवं प्रसंशनीयता के चलते पर्यावरण के लिए अन्य आवश्यक कदमों वाहनों, प्रदूषण आदि की रोकथाम का विषय सहज रूप से उठाते हुए बच्चों की खुशियों का हवाला देकर कुछ पटाखों को छोड़ने के लिए छूट प्रदान करने की मांग की।

बच्ची ने क्या लिखा चिट्ठी में ?
सेंट जेवियर्स पब्लिक स्कूल के तीसरी क्लास में पढ़ने वाली आठ साल की लुभा पंडित ने चिट्ठी में लिखा कि जज अंकल आपने ये पटाखे जो बंद कराए हैं। ये हम बच्चों के साथ बहुत गलत हुआ है। अंकल धुआं तो बहुत सारे व्हीकल से होता है। जो हर रोज समय-समय पर चलते हैं। दिपावली साल में एक बार ही आती है और बच्चों के लिए दिन खास होता है। बच्चे इसमें पटाखे ही मजे से छोड़ते हैं। अंकल आप दीपावली पर एक दिन पटाखे छोड़ने की परमिशन दीजिए। वरना हम बच्चों का दिवाली पर मजा खराब है। चाहे फुलझड़ी अनार छोड़ने की परमिशन दिलाएं।

क्या कहना है बच्ची के पिता का ?
वहीं लुभा के पापा विकास शर्मा का कहना है कि अगर पटाखे पर पूरे देश में बैन होता तो कोई बात नहीं है। लेकिन कहीं पटाखे छोड़े जाएं। कहीं ना छोड़े जाएं, तो बच्चों को दुख तो लगेगा ही।

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