Edited By ,Updated: 10 Oct, 2016 05:20 PM
यहां के बांसगांव इलाके के लोग अंधविश्वास में बच्चों का खून बहा देते हैं। लोगों का मानना है कि मां दुर्गा नवरात्र में नवजात की ...
गोरखपुर: यहां के बांसगांव इलाके के लोग अंधविश्वास में बच्चों का खून बहा देते हैं। लोगों का मानना है कि मां दुर्गा नवरात्र में नवजात की बलि से ही प्रसन्न होती हैं और अपनी कृपा बनाए रखती है। यहां पर हर साल नवरात्रि के नवमी तिथि को पूरे इलाके के हजारों क्षत्रिय दुर्गा मंदिर में अपने शरीर का रक्त मां को चढाते है। रक्त का यह चढ़ावा 15 दिन के बच्चे से लेकर 100 साल तक के बुजुर्गों तक के शरीर के पांच जगहों से उस्तरे काटकर दिया जाता है। घाव पर फिर दवाई नहीं बल्कि भभूती लगाई जाती है और बच्चे दर्द से रोते रहते हैं।
पहले दी जाती थी जानवरों की बली
कई सौ साल से चली आ रही इस परंपरा में इस क्षेत्र के हर परिवार के पुरुष को रक्त का चढ़ावा अनिवार्य माना जाता है। 18 साल के ऊपर के पुरुषों को शरीर से सात जगहों पर काटा जाता है और रक्त को बेलपत्र के जरिए माता दुर्गा की मूर्ति पर चढाया जाता है। कई दशकों पहले इस मंदिर पर जानवरों की बलि प्रथा काफी प्रचलित थी पर पिछले पचास सालों से यहां के क्षत्रियों ने मंदिर में बलिप्रथा बंद करवा दिया और अब यहां पर उनके खून से मां का अभिषेक होता है।
डॉक्टर करते हैं विरोध
इस रक्तबलि को डाक्टरों की ओर से विरोध भी किया जाता है, क्योंकि एक ही उस्तरे से सबके शरीर से खून निकालने के कारण हेपेटाइटस बी और एड्स जैसी कई खतरनाक बीमारियां भी होने की संभावना बनी रहती है और जिस भभूत को इलाज मानकर कटे जगह पर मला जाता है वह भी घाव को बढ़ाता है पर अंधविश्वास में अंधे लोगों के कुछ भी नहीं दिखता।