Edited By Ajay kumar,Updated: 17 Jan, 2020 11:04 AM
एसिड अटैक वह दर्द है जो कभी मिट नहीं सकता यह अमिट रहता है। इसका दर्द भी वही समझ सकता है जो इससे गुजरा हो या उसके बहुत करीब...
वाराणसीः एसिड अटैक वह दर्द जो कभी मिट नहीं सकता यह अमिट रहता है। इसका दर्द भी वही समझ सकता है जो इस दर्द से गुजरा हो या उसके बहुत करीब रहा हो। दीपिका पादुकोण की फिल्म ‘छपाक’ में एसिड अटैक पीड़िता लक्ष्मी की जिंदगी के संघर्षों को दिखाया गया है। स्क्रीन के सामने आने के बाद बहुत सी एसिड अटैक पीड़ित महिलाएं और लड़कियां भी सामने आ रही हैं और लोग भी उनसे जुड़ कर उनकी मदद को आगे आ रहे हैं। ऐसा ही प्रयास वाराणसी में शुरू होने जा रहा है।
संचालक खुद पीड़ित महिलाएं और लड़कियां होंगी
रेड ब्रिगेड के प्रयास से धर्मनगरी वाराणसी में जहां लखनऊ और आगरा के शीरोज कैफे की तर्ज पर पहला ऐसा रेस्टोरेंट खोला जा रहा है जिसकी संचालक खुद एसिड अटैक पीड़ित महिलाएं और लड़कियां होंगी। 'द ऑरेंज कैफे' नाम से संचालित होने वाले इस रेस्टोरेंट की शुरुआत शहर के दुर्गा कुंड इलाके में होने जा रही है। रेस्टोरेंट को किराए पर लेकर सेवापुरी के रहने वाले अजय कुमार पटेल इस रेस्टोरेंट को खोलने जा रहे रेड ब्रिगेड के संस्थापक अजय ने लगभग 2 साल तक प्रदेश के अलग-अलग जिलों में जाकर ऐसी पीड़ित महिलाओं को खोजा जिनमें से 4 महिलाएं अपनी जिंदगी बदलने के लिए दूसरे शहर में जाने को भी तैयार थीं।
बता दें कि इन महिलाओं में जौनपुर की रेखा देवी, बरेली की सोमवती, रायबरेली की विमला देवी और वाराणसी की बादाम देवी अपने पैरों पर खड़ा होने का जज्बा लिए इस रेस्टोरेंट को खोलने के लिए खुद आगे आई हैं। फिलहाल इन 4 महिलाओं को लेकर अजय अपनी सहयोगी की मदद से इस रेस्टोरेंट को तैयार कर इन्हें ट्रेनिंग दे रहे हैं। ताकि रेस्टोरेंट में खाना बनाने से लेकर उसे सर्व करने और बिल बनाने से लेकर कस्टमर डील करने तक का काम यह महिलाएं खुद कर सकें।
निजी खर्च के लिए पीड़िताओं को धनराशि भी देंगी संस्थाएं
शुरू में चार महीन तक संस्थाएं निजी खर्चे के लिए पीड़िताओं को कुछ धनराशि भी देंगी। इसके बाद इसकी इनकम से होने वाली प्रॉफिट चारों महिलाओं के हिस्से में आएगी।
महिलाओं ने कहा अब पटरी पर आएगी जिंदगी
वहीं एसिड अटैक का शिकार हुई सोमवती देवी का कहना है कि अब उनकी जिंदगी पटरी पर आएगी। 3 साल पहले उनके पड़ोसी के द्वारा एसिड अटैक किया गया था जिसके बाद जिंदगी उनकी थम गई थी लेकिन अब पूरा विश्वास है कि रेस्टुरेंट का मालिक बनने के बाद उसकी जिंदगी संवर जाएगी और वह अपने 10 साल के बच्चे का भी पालन पोषण कर सकेगी। आपको बता दें कि एसिड पीड़ित महिला कहीं न कहीं सामाजिक कारणों से घर में कैद होकर रह जाती हैं। ऐसे में काशी का ये रेस्टोरेंट उन महिलाओं के जीवन सुधार का एक बड़ा कारण बन सकता है।