Edited By Mamta Yadav,Updated: 30 Nov, 2024 09:18 PM
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने शनिवार को मुजफ्फरनगर जनपद के नगर में स्थित अपने आवास पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। जिसमें उन्होंने मीडिया से बात करते हुए संभल कांड पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि संभल जैसी घटनाएं देश में और...
Muzaffarnagar News, (अमित कुमार): भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने शनिवार को मुजफ्फरनगर जनपद के नगर में स्थित अपने आवास पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। जिसमें उन्होंने मीडिया से बात करते हुए संभल कांड पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि संभल जैसी घटनाएं देश में और होगी क्योंकि राजा का एजेंडा है और उन्हें भारत का मुसलमान तो खराब लगता है लेकीन विदेश का मुस्लिम ठीक लगता है। सेंधा नमक अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आ रहा है जो व्रत में इस्तेमाल होता है वह उनको ठीक लगता है लेकिन यहां का मुस्लिम उनको खराब लगता है हम तो इसमें ये ही कहेंगे कि जो कोर्ट का आदेश हो उसको सब माने।
राकेश टिकैत ने यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के द्वारा गन्ने के समर्थन मूल्य को हर साल नही बढ़ाया जा सकता है के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि उनके इस बयान से किसान आहत और दुखी है ओर उनके इस बयान से उनकी मानसिकता झलकती है क्यूंकि वह भी किसान हैं और वह भी गन्ने और धान की खेती करते हैं लेकिन पता नहीं उनकी क्या मजबूरी है जो वे इस तरह का बयान दे रहे हैं और अगर रेट नहीं बढ़ा सकते है तो इस तरह का बयान तो ना दे ताकि एक आस जो किसानों की सरकार के ऊपर है वह तो ना टूटे।
राकेश टिकैत की माने तो गन्ना भुगतान और गन्ने का रेट बढ़े और 450 से ऊपर रेट होना चाहिए यह बढ़ाएं ना कुछ भी लेकिन मंत्रियों के बयान कुछ इस तरह से आते हैं कि गन्ने का रेट हर साल नहीं बढ़ता तो उसे क्या माने की किसान के पक्षधर यह सरकार है या किसान विरोधी हैं यह हमारा सवाल है। बिजली प्राइवेट सेक्टर में जा रही बिजली के कर्मचारी अधिकारी उनकी जो एसोसिएशंस हैं वह विरोध कर रही पूरा किसान और आम लोग विरोध कर रहे तो हम उस कमेटी के साथ में भी हैं तो यह सारे इश्यु हैं हमारे जो किसानों के ऊपर कर्जा हुआ सरकारों की गलत नीतियों से किसान के ऊपर कर्जा हुआ। किसानों का कर्ज माफ होना चाहिए। किसान दुखी हैं और इस तरह का बयान मंत्रियों को नहीं देना चाहिए उससे उनकी मानसिकता झलकती है। वह भी किसान है वह भी गन्ने की और धान की खेती करते हैं उनकी क्या मजबूरी है कि इस तरह के बयान दे रहे हैं। भाव नहीं बढ़ाना तो कम से कम बयान तो ना दो एक आस जो सरकार के ऊपर है वह तो न टूटे प्रदर्शन और धरना ही है। यहां पर मीटिंग हो रही है आपको कह रहे हैं यह प्रदर्शन और धरना ही है।
उन्होंने कहा कि संभल इस तरह की घटनाएं देश में और होगी। राजा का एजेंडा है देश में भारत का मुसलमान खराब लगता है उनको और विदेश का मुस्लिम ठीक लगता है। सेंधा नमक अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आ रहा है जो फास्ट में इस्तेमाल होता है वह हमको ठीक लगता है लेकिन यहां का मुस्लिम हमको खराब लगता है। हमने यह कहा है कि उसकी जांच हो जो कोर्ट का आदेश है जांच उसकी हो जाए और जो कोर्ट फैसला करें सब लोग उसको माने सरकारों की पूरी पॉलिसी है उन पॉलिसियों पर ज्यादातर काम करें उन्हीं एजेंडा को पकड़ना चाहिए। हेल्थ और एज्युकेशन दोनों यह राइट टू एजुकेशन राइट टू हेल्थ इस पर काम शुरू हुआ है और यह बाराबंकी लखनऊ के आसपास जिलों में अभी इस पर काम शुरू हुआ है और इसको धीरे-धीरे आगे बढ़ने का काम करेंगे। भाई यह तो चादर लेने जा रहे जो दान पुन किया था चादर चयन किस लिए जा रहे थे अजमेर शरीफ में वे चादर अपनी वापसी ला रहे हैं क्या यह एजेंडा में इनके शामिल है और यह बढ़ेगा और जांच बिल्कुल होनी चाहिए। संपत्ति की जांच हो भाई बताने वाले के 10 पर्सेंट हैं और फिर जो टैक्स बनता है वह 30 परसेंट बनता है और बाकी जो है वह हमारा दे दो डिमांड तो यह है। 400 के ऊपर तो सरकार कह रही थी भाई हमने 450 सौ कह दिया बीच बचाव कर लो उसको 450 कर दो वह तो मंत्री ही बताएगा उसने बयान सही दिया या गलत दिया।