Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 02 Jan, 2020 03:13 PM
बिना स्वार्थ के लोग इंसानी रिश्ता भी नहीं निभाते पशुओं की तो बात ही छोड़ दें ऐसे में उम्रदराज हो चुकी गायों या गोवंशों को लोग आवारा छोड़ देते हैं। वहीं यूपी में महोबा...
बुंदेलखंडः बिना स्वार्थ के लोग इंसानी रिश्ता भी नहीं निभाते पशुओं की तो बात ही छोड़ दें ऐसे में उम्रदराज हो चुकी गायों या गोवंशों को लोग आवारा छोड़ देते हैं। वहीं यूपी में महोबा जिले से खबर आई है जहां किसान बलराम मिश्रा ने अपनी पालतू गाय का अंतिम संस्कार किया व उसकी अस्थियां संगम में प्रवाहित कर त्रयोदशाह करने की तैयारी कर रहा है।
गाय का नाम रखा था कृष्णा
किसान के इस कर्म को उदाहरण के तौर पर देखा जा सकता है।किसान ने बताया कि 20 साल पहले जन्माष्टमी के दिन गाय का जन्म हुआ था, उसका नाम कृष्णा रखा गया था। गाय 10वीं बार गर्भवती थी, उसका बच्चा सोमवार को गर्भ में ही मर गया था। तमाम प्रयास किए गए मगर प्रयासों के बाद भी गाय की मृत्यु हो गई।
गाय का विधिवत वैदिक मंत्रों के साथ किया अंतिम संस्कार
बलराम मिश्रा ने गाय का विधिवत वैदिक मंत्रों के साथ अंतिम संस्कार किया, गाय के शव को पहले लाल रंग के कपड़े ढंका गया और फिर उसे बैलगाड़ी पर रखकर बैंडबाजे से मातमी धुन बजाते हुए उसकी शवयात्रा निकाली गई। यही नहीं इस शव यात्रा में गांव के कई सारे लोग शामिल हुए।
कृष्णा गाय नहीं हमारी मां थी
बलराम ने बताया कि कृष्णा हमारे परिवार के लिए 'मां' जैसी थी, उसे खूंटे में कभी बांधा नहीं गया और न ही वह घर से कभी जंगल चारा चरने गई। दिनभर दरवाजे पर बैठी रहती थी, कृष्णा नाम लेते ही वह पीछे-पीछे चल देती थी। परिवार दुखी है, गाय नहीं हमारी मां का निधन हुआ है। इसलिए परिवारिक सदस्य की तरह उसका अंतिम संस्कार किया गया है।
तेरहवीं संस्कार में ब्राह्मण, कन्या व ग्रामीणों को भोज के लिए आमंत्रित करने की है योजना
किसान ने कहा, 'कृष्णा की अस्थियां प्रयागराज में प्रवाहित करने के बाद उसके तेरहवीं संस्कार में ब्राह्मण, कन्या भोज के अलावा सभी ग्रामीणों को भोज के लिए आमंत्रित करने की योजना है।