Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 01 Feb, 2019 12:16 PM
राम मंदिर निर्माण को लेकर देश में जमकर राजनीतिक रोटियां सेंकी गई, लेकिन मामला फिर वहीं का वहीं लटका रहा। जिससे आहत होकर संतों ने धर्मसंसद में राम मंदिर का 21 फरवरी को शिलान्यास करने का ऐलान कर दिया है। इसी कड़ी में द्वारिका-शारदा, ज्योतिष पीठ के...
प्रयागराजः राम मंदिर निर्माण को लेकर देश में जमकर राजनीतिक रोटियां सेंकी गई, लेकिन मामला फिर वहीं का वहीं लटका रहा। जिससे आहत होकर संतों ने धर्मसंसद में राम मंदिर का 21 फरवरी को शिलान्यास करने का ऐलान कर दिया है। इसी कड़ी में द्वारिका-शारदा, ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने गुरुवार को कहा कि विवादित भूमि को छोड़कर अन्य जगह मंदिर निर्माण की केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर यह जाहिर कर दिया है कि सरकार अयोध्या में रामलला की जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण नहीं कराना चाहती है।
एक निजी चैनल से बातचीत करते हुए शंकराचार्य ने कहा कि आरएसएस, विहिप और भाजपा के लोग राम को भगवान नहीं, बल्कि एक आदर्श महापुरुष मानते हैं। इसीलिए केंद्र सरकार ने विवादित स्थल से हटकर दूसरी जगह मंदिर निर्माण के लिए जमीन देने की अर्जी सुप्रीम कोर्ट में दी है।
सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन होने और सुनवाई चलने की स्थिति में वह क्या नियम तोड़कर विवादित भूमि पर शिलान्यास करने जाएंगे? इस सवाल पर उनका कहना था कि हाईकोर्ट ने रामलला की जन्मभूमि घोषित कर दिया है। वहीं रामलला विराजमान हैं। जहां रामलला विराजमान हैं, वहां राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के जाने पर रोक नहीं है, तो उनको कैसे रोका जा सकता है। वह शिला पूजन ही करेंगे।
हाईकोर्ट ने जिस जगह को रामलला की जन्मभूमि माना है, उसी जगह शिलान्यास करेंगे। शंकराचार्य ने कहा कि उन्होंने तो शिलान्यास की तारीख बता दी। वसंत पंचमी के बाद अयोध्या पहुंचने की भी तारीख बता देंगे।