Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 08 Sep, 2018 11:08 AM
सुप्रीम कोर्ट द्वारा समलैंगिक संबधों को आजादी देने के मामले में हिन्दू- मुस्लिम धर्म गुरुओं ने ऐतराज जताया है। धर्म गुरुओं ने समलैंगिगता को अपराध श्रेणी से बाहर करने के फैसले को भारत के धार्मिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों के खिलाफ बताते हुए फैसले पर...
सहारनपुरः सुप्रीम कोर्ट द्वारा समलैंगिक संबधों को आजादी देने के मामले में हिन्दू- मुस्लिम धर्म गुरुओं ने ऐतराज जताया है। धर्म गुरुओं ने समलैंगिगता को अपराध श्रेणी से बाहर करने के फैसले को भारत के धार्मिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों के खिलाफ बताते हुए फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है।
देवबंदी उलेमाओ और महंत ने कहा कि इस फैसले का कड़ा विरोध किया है। जहां उलेमा इस फैसले से आवारगी और अश्लीलता को बढ़ावा देने की बात कर रहे हैं वहीं हिन्दू धर्म गुरु इससे नाजायज संबधों की संज्ञा दे रहे हैं।
बता दें कि देश में दो बालिगों के बीच समलैंगिक संबंध अब अपराध नहीं हैं। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने दो बालिगों के बीच सहमति से बनाए गए समलैंगिक संबंधों को आपराध मानने वाली धारा 377 को खत्म कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह दिसंबर 2013 को सुनाए गए। अपने ही फैसले को पलट दिया है।
सीजेआई दीपक मिश्रा के साथ जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की संवैधानिक पीठ ने 10 जुलाई को मामले की सुनवाई शुरू की थी और 17 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया। इसके बाद वीरवार को यह फैसला सुनाया गया। जिसके ना सिर्फ सियासी गलियारों मे हलचल मच गई। बल्कि हिन्दू मुस्लिम धर्म गुरुओं ने भी एतराज जताया।