अनुपूरक बजट का मकसद लोकसभा चुनाव के लिये पैसा जुटाने का जुगाड़ : रामगोविंद

Edited By Ruby,Updated: 27 Aug, 2018 06:41 PM

देवरिया बालिका गृह कांड को लेकर उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा में योगी सरकार को घेरने की रणनीति पर चल रहे नेता विपक्ष समाजवादी पार्टी (सपा) के रामगोविंद चौधरी ने सोमवार को आरोप लगाया कि अनुपूरक बजट पेश करने का असली मकसद लोकसभा चुनाव के लिये पैसा एकत्र...

लखनऊः देवरिया बालिका गृह कांड को लेकर उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा में योगी सरकार को घेरने की रणनीति पर चल रहे नेता विपक्ष समाजवादी पार्टी (सपा) के रामगोविंद चौधरी ने सोमवार को आरोप लगाया कि अनुपूरक बजट पेश करने का असली मकसद लोकसभा चुनाव के लिये पैसा एकत्र करना है। मंगलवार तक सभा स्थगित होने के बाद चौधरी ने पत्रकारों से कहा कि सरकार के पास अपनी कोई परियोजना नहीं है। जनापयोगी योजनाओं के नाम पर वास्तव में बजट के जरिये धन जुटाया जा रहा है जिसका उपयोग भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिये लोकसभा चुनाव में किया जायेगा।  

देवरिया बालिका गृह कांड की जांच उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश से कराये जाने की मांग करते हुये सपा नेता ने कहा कि भाजपा को डर है कि निष्पक्ष जांच से उसके कई बड़े नेताओं के नाम इस प्रकरण में शामिल होना उजागर हो सकता है, इसलिये वह विपक्ष की मांग को टरका रही है। उन्होंने दावा किया कि देवरिया बालिका गृह की संचालिका के संबंध बड़े पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा भाजपा के नेताओं से भी हैं। सीबीआई अथवा पुलिस को भरोसे काबिल मानने से इंकार कर चौधरी ने मीडिया के साथ एक तस्वीर साझा करते हुए कहा कि देवरिया प्रकरण से उत्तर प्रदेश की देश दुनिया में काफी बदनामी हुई है। अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ने भी उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को दयनीय बताया है।   

कांग्रेस के लल्लू सिंह ने सवाल किया कि देवरिया कांड को लेकर सरकार ने कोई गंभीर कदम नहीं उठाया। सरकार के अनुसार मां विंध्यवासिनी सरंक्षण गृह की मान्यता डेढ़ साल पहले रद्द कर दी गयी थी तो फिर वहां देह व्यापार की जघन्य वारदात को कैसे अंजाम दिया जा रहा था। सरकार कहती है कि उसने डीएम और सीओ को हटा दिया जबकि उनका सिर्फ ट्रांसफर किया गया। देवरिया कांड को लेकर सदन में विपक्ष के विरोध का हिस्सा नहीं बनी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के नेता लालजी वर्मा ने कहा कि सदन में इस प्रकरण को लेकर चर्चा जरूरी थी। नियम 311 के तहत इस मुद्दे पर बहस जरूरी है। मामले की न्यायिक जांच भी होनी चाहिये।   

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