स्टूडेंट का कमाल, बनाई Whatsapp से चलने वाली गन

Edited By Ruby,Updated: 12 May, 2018 02:29 PM

student s awesome built in whatsapp powered gun

वाराणसी के रहने वाले मैकेनिकल इंजीनियरिंग के स्टूडेंट सुधांशु विश्वकर्मा ने कमाल कर दिखाया है। सुधांशु ने एक एेसी गन बनाई है जाे न केवल Whatsapp से चलेगी बल्कि देश के दुश्मनाें पर आग का गाेला भी बरसाएगी। सबसे खास बात ये कि इस टेक्नाेलॉजी से सीमा पर...

वाराणसीः वाराणसी के रहने वाले मैकेनिकल इंजीनियरिंग के स्टूडेंट सुधांशु विश्वकर्मा ने कमाल कर दिखाया है। सुधांशु ने एक एेसी गन बनाई है जाे न केवल Whatsapp से चलेगी बल्कि देश के दुश्मनाें पर आग का गाेला भी बरसाएगी। सबसे खास बात ये कि इस टेक्नाेलॉजी से सीमा पर तैनात जवान बॉर्डर की निगरानी के साथ खुद काे सेफ भी कर सकते हैं।

कैसे मिला आइडिया 
गन बनाने के आइडिया के बारे में जब सुधांशु विश्वकर्मा से बात की गई ताे उन्हाेंने बताया कि हर दिन टीवी आैर अखबाराें में जवानाें के शहीद हाेने की खबरें सामने आती हैं। यहीं से मुझे आइडिया मिला कि क्याें न जवानाें की हिफाजत के लिए कुछ एेसा किया जाए कि सीमा की निगरानी भी हाे जाए आैर जवान भी सुरक्षित रहें। 
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सुधांशु ने आगे बताया कि मेरे पिता मोटर मैकेनिक हैं। उनको अक्सर देखता था कि वो खराब पार्टों को आसानी से रिपेयर करके इस्तेमाल कर लेते थे। हमने भी इसी कबाड़ से गन बनाने के बारे में साेचा। अपने दोस्त प्रकाश मौर्या के साथ मिलकर हमने ये गन बना दी। इस गन को बनाने में 10 दिन और 6000 हजार रुपए का खर्च आया है।

गन बनाने के लिए आवश्यक चीजें 
सुधांशु ने बताया कि इस गन को बनाने के लिए मोटर साइकिल का साकार(500 रुपए), 4 बाइक क्लच प्लेट जिसे गन के बैरल को चलाने के लिए इस्तेमाल किया गया है(400 रुपए), आधा इंच का पाइप(25 रुपए), डीवीडी से लिया गया गेयर पुली(15 रुपए ), डीसी मोटर कूलर जोकि बैरल को रोटेट करने का काम करता है(100 रुपए ), ह्यूमन बाडी सेंसर, रेडियों फ्रीक्वेंसी किट जिसे हमने खुद डेवलप किया है और एक मोबाइल फोन की जरूरत होगी। 
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एेसे होगा इसका प्रयोग
उन्होंने बताया कि गन में इंटरनेट रिसीवर के साथ ह्यूमन सेंसर भी लगा है, जो ह्यूमन को सेन्स कर ही फायर करता है। फ्रीक्वेंसी कनेक्टर के साथ कोड के जरिये सेंसर को जोड़ा गया है। जैसे ही कोई दुश्मन सेट किए रेंज में आएगा, पहला सेंसर एम्प्लीफायर और सर्किट को एक्टिव कर देगा। वायरलेस सिस्टम की फ्रीक्वेंसी से कंट्रोल रूम तक सूचना पहुंच जाएगी। वार्निग के बाद दूसरा सेंसर टाइम के सेटिंग के अनुसार एक्टिव हो जाएगा और गेयर पुली को पुश करेगा, जो प्रेस स्वीच के जरिए ट्रीगर को दबा देगा और फायर हो जाएगा। सबसे खास बात जब तक इसमें कंट्रोल रूम या हैंडिल करने वाला जवान कोड नहीं डालेगा, तब तक गन एक्टिव नहीं होगा।

गन बनाने वाले दोनों सुधांशु और प्रकाश वाराणसी स्थ‍ित अशोका इंस्टीट्यूट के छात्र हैं। छात्रों ने बताया कि अभी इसमें और कमीयां हैं जिन पर पूरी तरह से खरा उतरने के बाद ही इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया जाएगा।

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