Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 04 Jul, 2018 06:09 PM
लखनऊ यूनिवर्सिटी में बुधवार को बाहरी लोगों और पूर्व छात्रों ने शिक्षकों को जमकर पीटा। जिसके चलते यूनिवर्सिटी को अगले आदेश मिलने तक बंद कर दिया गया। इतना ही नहीं बाहरी लोगों ने यूनिवर्सिटी कैम्पस में खड़ी गाड़ियों से भी तोड़-फोड़ की कोशिश की। इस दौरान...
लखनऊः लखनऊ यूनिवर्सिटी में बुधवार को बाहरी लोगों और पूर्व छात्रों ने शिक्षकों को जमकर पीटा। जिसके चलते यूनिवर्सिटी को अगले आदेश मिलने तक बंद कर दिया गया। इतना ही नहीं बाहरी लोगों ने यूनिवर्सिटी कैम्पस में खड़ी गाड़ियों से भी तोड़-फोड़ की कोशिश की। इस दौरान इन्होंने प्रॉक्टर, डीएसडब्ल्यू, डीन सीडीसी की जमकर पिटाई कर दी। छात्रों की गुंडागर्दी व मारपीट की पूरी घटना सीसीटीवी में कैद हो गई।
बता दें कि खुद लखनऊ यूनिवर्सिटी की तरफ से ट्वीट कर मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा को इस हमले की जानकारी दी गई है। इसमें कहा गया है कि लखनऊ यूनिवर्सिटी के टीचरों पर कैंपस के अंदर असामाजिक तत्वों और बाहरी लोगों द्वारा बुरी तरह हमला किया गया है। इस हमले में प्रॉक्टर और उनकी टीम, डीएसडब्ल्यू, डीन सीडीसी घायल हो गए हैं। पुलिस बिलकुल सहयोग नहीं कर रही है।
यूनिवर्सिटी के कुलपति एसपी सिंह ने बताया कि हंगामा करने वाले सभी लोग बाहर के थे। ये सभी खुद को समाजवादी पार्टी का कार्यकर्ता बता रहे थे। उन्होंने कहा कि अगर इनमें कोई यूनिवर्सिटी का छात्र होता तो उसके खिलाफ हम अपने स्तर से कार्रवाई करते लेकिन पता नहीं ये कौन-कौन से लोग थे। प्रशासन को इस बात की जानकारी दे दी गई है। पूरी प्लानिंग के साथ लगभग 25 से 30 लोग विश्वविद्यालय के अन्दर घुस आये और अध्यापकों के साथ मारपीट करने लगे। इस दौरान बहुत सारे लोग घायल हुए हैं।
उधर, हरेन्द्र कुमार एसपी ट्रांसगोमती का कहना है कि लखनऊ यूनिवर्सिटी में पिछले तीन दिनों से कुछ छात्रों ने धरना दे रखा था। जिसकी वजह एडमिशन न मिल पाना था। खबर मिलते ही लगभग 50 पुलिसकर्मियों को यहां तैनात कर दिया गया है। अध्यापकों के साथ मारपीट करने वाले छह लोगों में से तीन को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल जून में यूनिवर्सिटी पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को काला झंडा दिखा गया था। इस मामले में कई छात्रों को गिरफ्तार कर लिया गया था। इन्हें जेल भेज दिया गया था। बाद में ये लोग जमानत पर बाहर आए थे। उस समय मामले में खूब सियासत हुई थी। समाजवादी पार्टी ने छात्रों का समर्थन कर केस वापस लेने की मांग की थी। इस प्रोटेस्ट में समाजवादी छात्रसभा के भी सदस्य थे।