Edited By Deepika Rajput,Updated: 19 Jun, 2019 01:41 PM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ''एक देश, एक चुनाव'' की सोच को आगे बढ़ाने का फैसला करते हुए बुधवार को सभी पार्टियों के अध्यक्षों की बैठक बुलाई है। वहीं इस बैठक को लेकर राजनीतिक बहस छिड़ गई है। कोई इसका समर्थन कर रहा रहा है तो किसी ने इसे संविधान के...
लखनऊः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'एक देश, एक चुनाव' की सोच को आगे बढ़ाने का फैसला करते हुए बुधवार को सभी पार्टियों के अध्यक्षों की बैठक बुलाई है। वहीं इस बैठक को लेकर राजनीतिक बहस छिड़ गई है। कोई इसका समर्थन कर रहा रहा है तो किसी ने इसे संविधान के खिलाफ बताया है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने इसे ध्यान बांटने का प्रयास और छलावा करार दिया है। उनके इस बयान पर सूबे के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने पलटवार किया है।
मायावती के विरोध पर उन्होंने कहा कि कुछ निर्णय कठोर होते हैं, लेकिन उनका फायदा मिलता है। इसके जरिए हम पैसे के व्यय को बचा सकते हैं। कुछ संवैधानिक बदलाव भी लाना होगा। उन्होंने कहा कि विपक्ष का तर्क गले से नीचे नहीं उतर रहा है। बता दें कि, मायावती ने ट्वीट कर कहा है कि किसी भी लोकतांत्रिक देश में चुनाव कभी कोई समस्या नहीं हो सकती है और न ही चुनाव को कभी धन के व्यय-अपव्यय से तौलना उचित है। देश में ’एक देश, एक चुनाव’ की बात वास्तव में गरीबी, महंगाई, बेरोजबारी, बढ़ती हिंसा जैसी ज्वलन्त राष्ट्रीय समस्याओं से ध्यान बांटने का प्रयास व छलावा मात्र है।
उन्होंने कहा कि बैलेट पेपर के बजाए ईवीएम के माध्यम से चुनाव की सरकारी जिद से देश के लोकतंत्र व संविधान को असली खतरे का सामना है। ईवीएम के प्रति जनता का विश्वास चिन्ताजनक स्तर तक घट गया है। ऐसे में इस घातक समस्या पर विचार करने हेतु अगर आज की बैठक बुलाई गई होती तो मैं अवश्य ही उसमें शामिल होती।