सपा-बसपा का मेल अटूट, BJP का मकसद दोस्ती को तोड़ना: मायावती

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Mar, 2018 09:02 AM

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बसपा सुप्रीमो मायावती ने राज्यसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी को मिली हार को लेकर केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा।उन्होंने कहा कि सपा-बसपा का मेल अटूट है, भाजपा का मकसद सिर्फ सपा-बसपा की दोस्ती को तोड़ना है....

लखनऊ: बसपा सुप्रीमो मायावती ने राज्यसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी को मिली हार को लेकर केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा।उन्होंने कहा कि सपा-बसपा का मेल अटूट है, भाजपा का मकसद सिर्फ सपा-बसपा की दोस्ती को तोड़ना है, कांग्रेस पार्टी के साथ हमारे संबंध तब से है जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी।

मायावती ने भाजपा एंड कंपनी पर सरकारी तंत्र का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा ने समाजवादी पार्टी के साथ तालमेल के खिलाफ साजिश कर फूट डालने की कोशिश में अतिरिक्त उम्मीदवार, जो कि एक ‘धन्ना सेठ’ है, को मैदान में उतारा था। उन्होंने कहा कि भाजपा ने ये सब इसलिए किया जिससे सपा और बसपा के बीच एक बार फिर से दूरी हो जाए।

मायावती ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इसके पीछे हमारा मकसद ‘धन्नासेठों’ की खरीद-फरोख्त वाली राजनीति को खत्म करना था। उन्होंने कहा कि हम चाहते थे कि इस तरह ताकत का दुरुपयोग न किया जा सके इसलिए हम दोनों ने एक-एक उम्मीदवार उतारा था। इसके बावजूद सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने की आदत से बाज न आने वाली भाजपा ने एक अतिरिक्त उम्मीदवार उतार दिया।

मायावती ने कहा कि भाजपा ने एक ‘धन्ना सेठ’ को अतिरिक्त उम्मीदवार के रूप में उतारकर चुनाव को निर्विरोध नहीं रहने दिया और मतदान आधारित बनाया ताकि सरकारी मशीनरी के दुरूपयोग से और पैसे के बल अपने उम्मीदवार को जिताया जा सकें।  उन्होंने भाजपा नेताओं पर तंज कसते हुए कहा कि राज्यसभा के परिणाम के बाद भाजपा नेताओं ने रात में खूब लड्डू खाए होंगे लेकिन आज उनकी नींद मेरी प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद उड़ जाएगी।

मायावती ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि गोरखपुर और फूलपुर सीटों पर हुए उपचुनाव से पहले बसपा और सपा साथ आए और इसका पूरे देश में सकारात्मक संदेश गया। उपचुनावों में दोनों के साथ आने का असर दिखा और बसपा ने सपा के उम्मीदवारों का समर्थन किया जिसके फलस्वरूप बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। भाजपा की कोशिश रही कि किसी भी तरह हम दोनों दलों में फूट डलवाई जाए और अगले साल लोकसभा चुनाव में दोनों दल साथ न नजर आएं। भाजपा की यह साजिश पूरे दिन राज्यसभा वोटिंग के दौरान देखने को मिली।

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