Edited By Ruby,Updated: 12 Jan, 2019 01:53 PM
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव को मद्देनजर रखते हुए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती ने गठबंधन कर लिया है। सपा-बसपा के गठबंधन ने जहां कांग्रेस को दरकिनार कर दिया है तो वहीं बीजेपी की नींदे भी उड़ गई हैं। इसी कड़ी में भाजपा के वरिष्ठ...
लखनऊ/दिल्लीः उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव को मद्देनजर रखते हुए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती ने गठबंधन कर लिया है। सपा-बसपा के गठबंधन ने जहां कांग्रेस को दरकिनार कर दिया है तो वहीं बीजेपी की नींदे भी उड़ गई हैं। इसी कड़ी में भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने गठबंधन पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में इसका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसके साथ ही इस गठबंधन को तवज्जो नहीं देने पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि सपा और बसपा ने देश या उत्तरप्रदेश के लिए गठबंधन नहीं किया है ,दरअसल वे अपने अस्तित्व के लिए साथ आए हैं। वे अपने बल पर मोदी का मुकाबला नहीं कर सकते और मोदी विरोध ही इनके गठबंधन का आधार है। उन्होंने इन बातों को भी तवज्जो नहीं दी कि कभी एक दूसरे के विरोधी रहे इन दोनों दलों के साथ आने से लोकसभा चुनाव पर कोई प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि चुनाव केवल गणित का विषय नहीं होता, यह रसायन की भी बात होती है। कई बार दो चीजों के मिलने से तीसरा पदार्थ भी बन जाता है।
भाजपा के राष्ट्रीय अधिवेशन के दूसरे दिन प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ‘‘ समय आ गया है जब देश को यह तय करना होगा कि उसे एक मजबूत सरकार चाहिए या फिर मजबूर सरकार चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश में समावेशी विकास हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि दशकों तक देश में शासन करने के बाद कांग्रेस पार्टी आज देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रही है । उल्लेखनीय है कि सपा और बसपा आगामी लोकसभा चुनाव में गठबंधन के तहत उत्तर प्रदेश की 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। दो सीटें छोटी पार्टियों के लिए छोड़ी गई हैं जबकि अमेठी और रायबरेली की दो सीटें कांग्रेस पार्टी के लिए छोड़ना तय किया गया है ।