Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 27 May, 2019 02:50 PM
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में स्वास्थ्य विभाग का बेहद शर्मनाक चेहरा सामने आया है। जहां 9 साल के बच्चे की मौत के बाद गरीब परिवार को शव वाहन देने के बजाए उसको अस्पताल से निकाल दिया गया। जिसके बाद बेबस मां बेटे...
शाहजहांपुरः उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में स्वास्थ्य विभाग का बेहद शर्मनाक चेहरा सामने आया है। जहां 9 साल के बच्चे की मौत के बाद गरीब परिवार को शव वाहन देने के बजाए उसको अस्पताल से निकाल दिया गया। जिसके बाद बेबस मां बेटे के शव को बाहों में उठाए रोते-बिलखते अस्पताल के गेट पर चक्कर लगाती रही। इंसानियत को शर्मसार करती हुई ये बानगी जिस किसी ने देखी उसका खून खौल उठा।
हालांकि इंसानियत जिंदा है ये वहां पर खड़े आसपास लोगों ने साबित कर दिया। क्योंकि सवारी के लिए पैसे न होने पर आसपास खड़े लोगों ने चंदा इकट्ठा कर गरीब मां को दिए उसके बाद मां बेटे की लाश को ऑटो से लेकर घर गई।
जानिए क्या है मामला?
दरअसल, थाना सदर बाजार के ईदगाह मोहल्ला निवासी शकील मेनहत मजदूरी करके पत्नी और चार बच्चों का पेट पालता है। शकील का 9 साल बेटा अफरोज बुखार से पीड़ित था। उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन रविवार की शाम इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। परिवार के पास रुपए नहीं बचे थे। मृतक के माता-पिता ने ट्रामा सेंटर में मौजूद कर्मचारियों और डॉक्टर से सवारी का इंतजाम करने की गुहार लगाई। उस वक्त अस्पताल के बाहर शव वाहन भी खड़ा था। लेकिन वाहन देने से मना कर दिया गया।
पिता का कहना है कि जब उसने एंबुलेंस की व्यवस्था कराने की बात की तो कर्मचारियों ने उसे ट्रामा सेंटर से बाहर कर दिया। उधर, इमरजेंसी मेडिकल अफसर डॉक्टर अनुराग पराशर ने कहना है कि, बच्चे की गंभीर हालत देखकर तीमारदारों ने उसे जबरन रेफर करा लिया था। उसकी कब मौत हुई, इसकी जानकारी नहीं है। अब पता चली है। उसके बाद बच्चे का परिवार हमारे पास नहीं आया।