Edited By Ramkesh,Updated: 28 Apr, 2020 05:14 PM
कोरोना महामारी को रोकने के लिए देश में लॉकडाउन लॉगू है। ऐसे देश या प्रदेश में किसी की मौत हो जाती है तो परिवार वालों को शव यात्रा ..
कानपुर: कोरोना महामारी को रोकने के लिए देश में लॉकडाउन लॉगू है। ऐसे देश या प्रदेश में किसी की मौत हो जाती है तो परिवार वालों को शव यात्रा में भी शामिल नहीं होने का मौका मिलता है। ऐसा ही मामला कानपुर से आया है। जहां पर एक वेबस मां अपने बेटे की मौत हो जाने पर रो-रोकर कहती रही कोई तो मेरे बेटे का शव ला दो कम से कम उसे अंतिम बार दिखा दो। बेटा हैदराबाद एक प्राइवेट सिक्योरिटी सर्विस में काम करता था। लॉकडाउन लागू हो जाने के कारण काम बंद हो गया। इसी बीच उसे पीलिया हो गया और उसके पास इतना पैसा नहीं था कि वह दवा करा सके। जिससे उसकी मौत हो गई।
बता दें कि आर्य नगर विधानसभा क्षेत्र स्थित पटकापुर निवासी निशा सिंह का बड़ा बेटा सुरेंद्र प्रताप सिंह (30) हैदराबाद एक प्राइवेट सिक्योरिटी सर्विस में काम करने गया था। लॉकडाउन की वजह से सुरेंद्र का सिक्योरिटी का काम बंद हो गया। इसी बीच उसे पीलिया हो गया। काम बंद होने से उसके पास इतना पैसा नहीं था कि वह इलाज करा पाता। आखिरकार सोमवार को उसकी मौत हो गईं। यह खबर जैसे ही मां को मिली, वह बेटे की अर्थी लाने के लिए परेशान हो इधर-उधर भागने लगी। निशा सिंह का दूसरा बेटा शुभम सिंह भी दिल्ली के पास खापरखेड़ा में लॉकडाउन की वजह से फंसा हुआ है।
अपने निवास जौनपुर में फंसे सिक्योरिटी कंपनी के मालिक अशोक पांडेय ने देर शाम अपने सुपरवाइजर के माध्यम से सुरेंद्र की अर्थी को कानपुर लाने की व्यवस्था शुरू कर दी। इसकी जानकारी सांसद सत्यदेव पचौरी और गोविंदनगर विधायक सुरेंद्र मैथानी को भी दे दी गई।
विधायक सुरेंद्र मैथानी मसीहा बनकर आये। विधायक ने अपने मित्र के माध्यम से सुरेंद्र के शव को हैदराबाद से कानपुर के लिए रवाना कराया। साथ ही मैथानी ने कहा है कि वह सुरेंद्र के शव को वहां से लाने का जो भी खर्च होगा उसे वह ही वहन करेंगे।