बुंदेलखंड की मिट्टी दलहन-तिलहन के अनुकूल, पैदावार बढ़ाने के करें प्रयास: मनोज कुमार

Edited By Mamta Yadav,Updated: 26 Jun, 2022 09:52 PM

soil of bundelkhand is conducive to pulses and oilseeds manoj kumar

उत्तर प्रदेश की वीरांगना नगरी आये कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह ने रविवार को कहा कि बुंदेलखंड के किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। इस क्षेत्र की मिट्टी दलहन-तिलहन की खेती के लिए अनुकूल है इसलिए इसकी पैदावार बढ़ाने...

झांसी: उत्तर प्रदेश की वीरांगना नगरी आये कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह ने रविवार को कहा कि बुंदेलखंड के किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। इस क्षेत्र की मिट्टी दलहन-तिलहन की खेती के लिए अनुकूल है इसलिए इसकी पैदावार बढ़ाने का प्रयास करना जरूरी है।       

दीनदयाल सभागार में, चित्रकूटधाम मंडल एवं कानपुर मंडल की संयुक्त मंडलीय खरीद उत्पादकता गोष्ठी -2022 की अध्यक्षता करते हुएं सिंह ने कहा कि बुन्देलखंड का विकास शासन की उच्च प्राथमिकता है। क्षेत्र के किसानों की आय दोगुनी हो उसके लिये लगातार प्रयास किये जा रहे है। यहां जल्द ही फूड प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित की जायेंगी। जिलेवार फसल के उत्पादन को छोटी-छोटी प्रोसेसिंग यूनिट के माध्यम से ही किसान की फसल का उचित दाम तभी प्राप्त होगा जब उत्पादन की गुणवत्ता बेहतर हो। पैकेजिंग, प्रोसेसिंग अच्छी हो तथा बेहतर मार्केटिंग हो। इसके लिये उन्होने एफपीओ को बढ़ावा देने का सुझाव दिया, उन्होंने कहा कि एफपीओ के गठन की जो मंशा है वह अभी पूरी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि एफपीओ स्वयं फूड प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने के लिए आगे आएं।        तीन साल बाद यह गोष्ठी हो रही है। इस गोष्ठी का मकसद सुझाव जानना और बीज खाद उर्वरक आदि की उपलब्धता की जानकारी प्राप्त करना है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि आज किसानों से बहुत ही उपयोगी सुझाव मिले हैं।       

उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड में कम बारिश होती है। इजराइल में उत्तर प्रदेश से भी कम वर्षा होती है लेकिन वहां कृषि क्षेत्र में अच्छा कार्य होता है। बुंदेलखंड में बारिश के पानी को खेत में बंधी, खेत तालाब कार्य को करते हुए रोकना होगा,इसके साथ ही पानी का सही इस्तेमाल कैसे करें? जिससे किसान कम पानी में अच्छी फसल का उत्पादन कर सकें। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जीडीपी में पश्चिम उत्तर प्रदेश का 95 प्रतिशत भागीदारी है तो वही बुंदेलखंड की 05 प्रतिशत की भागीदारी है, यदि बुंदेलखंड की दलहन/तिलहन को प्रोसेसिंग कर विक्रय किया जाए तो प्रदेश की जीडीपी में बुंदेलखंड की भी अच्छी भागीदारी हो सकेगी। उत्तर प्रदेश ने भी इजरायल के साथ बुंदेलखंड में कम पानी में अच्छी फसल कैसे ली जाए उसके लिए एक समझौता किया है, इस समझौते के अंतर्गत जनपद झांसी में गंगावली गांव में एक मॉडल लागू हो रहा है जहां ड्रिप और स्पिंगलर के माध्यम से टमाटर-शिमला मिर्च की खेती की जाएगी किसानों को इससे सीधा लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस वर्ष प्रदेश में दलहन/तिलहन का लक्ष्य बढ़ाया गया है। अच्छे उत्पादन का मूल मंत्र है समय से बुवाई यदि सही समय पर बुवाई कर ली जाएगी तो अच्छादन में बढ़ोतरी होगी, उन्होंने जिले की अधिकारियों को लगातार मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए ताकि बढ़े हुए लक्ष्य की पूर्ति की जा सके।      

इस दौरान मंडलायुक्त डॉ़ अजय शंकर पांडेय ने मण्डल में खरीफ की तैयारियों की जानकारी देते हुए कहा कि मंडल में बीज खाद उर्वरक की पर्याप्त उपलब्धता है। विशेष उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए विशिष्ट उत्पाद संगठन समिति का गठन कर लिया है, स्ट्रॉबेरी, एप्पल बेर, प्याज की खेती को प्रोत्साहित करते हुए क्षेत्र में विस्तार हो रहा है। उन्होंने कहा कि मन की बात में स्ट्रॉबेरी की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने बुंदेलखंड में स्ट्रॉबेरी की खेती को प्रोत्साहित किया। मंडलायुक्त ने जनपद झांसी में तुलसी की खेती की जानकारी देते हुए बताया की धार्मिक आस्था के कारण किसान इसे अपनाने में संकोच कर रहा था परंतु काउंसलिंग के बाद किसान इस खेती में आगे आए हैं अब लगभग 3000 एकड़ में तुलसी की खेती होने जा रही है। झांसी में मटर और चना की खेती पोटर्ेबल स्प्रिंकलर के माध्यम से होती है उन्होंने इस के अनुदान को 50त्न किए जाने का अनुरोध किया इसके अतिरिक्त उन्होंने सोलर पंप की मरम्मत के लिए मरम्मत केंद्र भी खोले जाने का अनुरोध किया।       

गोष्ठी में मंडलायुक्त चित्रकूट धाम मंडल डीके सिंह ने मंडल की खरीफ उत्पादकता की तैयारियों और रणनीति की जानकारी दी। मंडल में दलहन तिलहन क्षेत्र को बढ़ाया जा रहा है सिंचाई की सुविधा नहीं थी लेकिन अब सिंचाई क्षमता में बढ़ोतरी हो रही है उन्होंने खेत तालाब योजना में 75त्न अनुदान करने का अनुरोध किया। उन्होंने बुंदेलखंड के लिए सिंचाई प्रबंधन योजना जल संचय विभाग खोले जाने का भी अनुरोध किया। गोष्ठी में जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने कहा कि बुंदेलखंड में शुष्क वातावरण है बालू क्षेत्र होने के कारण खजूर की खेती हो रही है। खजूर की खेती में खर्च कम और आमदनी अधिक है। उन्होंने कहा कि आठ लाख रूपये प्रति हेक्टेयर का इसमें खर्च आता है, यदि 50प्रतिशत किसानों को अनुदान दिया जाए तो क्षेत्र में अनेकों किसान खजूर की खेती में आगे आएंगे इसमें आपदा के कारण क्षति शून्य है। उन्होंने जनपद में अनार की खेती की भी संभावनाओं की जानकारी दी उन्होंने कहा कि यदि इसमें अनुदान बढ़ा दिया जाए तो अनार की खेती से भी किसानों को लाभ प्राप्त होगा। झांसी, चित्रकूट धाम एवं कानपुर मंडल की संयुक्त मंडलीय खरीफ उत्पादकता गोष्टी -2022 में समस्त जिलाधिकारियों ने अपने जिले की खरीफ की तैयारियां और लक्ष्य को पूर्ण करने की रणनीति की जानकारी दी।

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