भारत-चीन विवाद का साइड इफेक्टः रक्षाबंधन में धूम मचाने वाली चाइनीज राखियां बाजार से गायब

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Jul, 2017 06:03 PM

side effects of india china conflict risks in rakshabandan

सीमा पर भारत-चीन विवाद का साइड इफेक्ट रक्षाबंधन त्याैहार से पहले ही देखने काे मिल रहा है। बाजार में जहां...

गोरखपुर(रुद्र प्रताप सिंह): सीमा पर भारत-चीन विवाद का साइड इफेक्ट रक्षाबंधन त्याैहार से पहले ही देखने काे मिल रहा है। बाजार में जहां इस बार इडियन राखियाें की धूम मची हुई है वहीं चाइनीज राखियाें पूरी तरह से गायब हैं। दुकानदारों का कहना है कि जहाँ से चाइनीज राखियां आती थी वहीँ से ही राखियां नहीं मिलीं और ग्राहक भी चाइनीज राखियों की डिमांड नहीं कर रहे हैं।

सोने, चांदी आैर स्टोन वाली राखियों की बढ़ी डिमांड
वैसे तो लोग अपनी अपनी पसंद के हिसाब से राखियां खरीद रहे हैं लेकिन हर बार की तरह इस बार भी सोने, चांदी आैर स्टोन वाली राखियों की डिमांड ज्यादा है।

चाइनीज राखियों का बाजार में हिस्सेदारी खत्म 
गौरतलब है कि गोरखपर में लगभग 50 से 70 लाख रूपये तक का कारोबार राखियों का है जिसमे 8 से 10 फीसद चाइनीज राखियां की हिस्सेदारी होती थी, जिसमे ट्रेंडी राखियों की डिमांड थी। जिसे बच्चे भी काफी पसंद करते थे। लेकिन इस बार  इंडियन राखियों में भी ट्रेंडी राखियां आ गयी हैं। कीमत में थाेड़ा अंतर जरूर है। जहाँ चाइनीज राखियां 12 रूपये दर्जन बिकती थी वहीँ इन्डियन राखियाें की कीमत 14 रूपये दर्जन पड़ रही है। कुल मिला कर देखा जाय तो चाइनीज राखियों का बाजार में हिस्सेदारी 8 से 10 प्रतिशत ही होती थी जो इस बार खत्म है।

चाइनीज राखियों की डिमांड नहीं कर रहे ग्राहक-दुकानदार
गोरखपुर स्थित शाह मारुफ के राखियों के होलसेल सप्लायर दुर्गेश पटवा ने बताया कि गोरखपर में राखियों का कारोबार लगभग 50 से 80 लाख का है। जिसमें पिछले बर्ष 8 से 10 लाख की राखियां चाइनीज थी। लेकिन इस बार चाइनीज माल ही नहीं मिला और ग्राहक भी चाइनीज राखियों की डिमांड नहीं कर रहे हैं।

सोशल मीडिया का पड़ा असर 
सोशल मीडिया पर चल रही चाइनीज बस्तुओं के बहिष्कार का असर तो नहीं है के सवाल पर दुर्गेश ने कहा कि ग्रहकों ने ही बहिष्कार कर दिया है। कंपनियां भी माल नहीं दे रही हैं। ग्राहक भी नहीं लेना चाहते या यूं कहिए उन्होंने भी बहिष्कार कर दिया है।
फ़िलहाल गोरखपुर में चाइनीज राखियां का मार्केट शून्य है दुकानदार से लेकर ग्राहकों तक की पसंद अब इंडियन राखियां हो गयी हैं। 


 

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