उधार की बंदूक से सीखी निशानेबाजी, अब जीता UP स्टेट शूटिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल

Edited By Ruby,Updated: 11 Aug, 2018 11:46 AM

shooting gun learned from gun now won gold medal in up state

किसी ने खूब ही कहा है हौसले हो तो उड़ानों में मजा आता है, पंख अगर बिछड़ भी जाए तो गम ना करना। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है दिव्यांग पिस्टल शूटर इफ्तिसार खान ने। 18 साल की उम्र में दिव्यांग शूटर इफ्तिसार खान ने उधार की पिस्टल से एक साल में यूपी स्टेट...

आगराः किसी ने खूब ही कहा है हौसले हो तो उड़ानों में मजा आता है, पंख अगर बिछड़ भी जाए तो गम ना करना। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है दिव्यांग पिस्टल शूटर इफ्तिसार खान ने। 18 साल की उम्र में दिव्यांग शूटर इफ्तिसार खान ने उधार की पिस्टल से एक साल में यूपी स्टेट शूटिंग चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर अपने हौंसले को उड़ान दी है। एक आंख से बिल्कुल न दिखने के बावजूद उस ने शूटिंग खेल को अपनाकर अपने मजबूत इरादों की झलक दिखा दी है।

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दरअसल आगरा के भगवती नगर, जगनेर रोड पर रहने वाली इफ्तिसार 2017 से पहले तक शूटिंग से बिल्कुल अंजान थीं। पिता की परचून की दुकान से चार भाई-बहनों का घर खर्च बड़ी मुश्किल से चलता था। उसने अखबारों में दिव्यांग शूटर सोनिया शर्मा को देखकर शूटिंग के प्रति रुख किया। एक दिन भाई सलमान उसे लेकर स्टेडियम की शूटिंग रेंज पहुंच गए। वहां शूटिंग कोच विक्रांत तोमर से बात की। विक्रांत ने उसका शूटिंग के प्रति झुकाव देखा तो सिखाने की हामी भर दी। परंतु इफ्तिसार के सामने शूटर बनने की दिक्कत अभी भी मौजूद थी। उसके पास खुद की पिस्टल नहीं थी। कोच विक्रांत ने जिला राइफल संघ की पिस्टल और साथी खिलाड़ियों की पिस्टल उधार मांगकर उसको शूटिंग शुरू कराई। 

इफ्तिसार को बायीं आंख से जन्म से ही न दिखाई देने की वजह से 50 प्रतिशत दिव्यांग है। धीरे-धीर उसने अपनी लगन से शूटिंग को अपना जुनून बना लिया। उसके जुनून का परिणाम उसकी पहली प्रतियोगिता में ही स्वर्ण पदक के रूप में सामने आया। 2017 में प्री स्टेट शूटिंग चैम्पियनशिप में स्वर्ण जीतने के बाद उसने कड़ी मेहनत शुरू कर दी। 2018 में एकबार फिर उसने अपनी चमक बिखेरी। मेरठ व नोएडा में हुई प्री स्टेट शूटिंग चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर स्टेट चैम्पियनशिप के लिए क्वालीफाई कर लिया। सोनिया शर्मा को अपनी प्रेरणा मानने वाली इफ्तिसार कहती हैं कि अब शूटिंग की उनका सबकुछ बन गया है। खुद की पिस्टल न होने के बावजूद वह अपनी लगन से पदक जीतने की राह पर चल पड़ी हैं। अब मेरा लक्ष्य पहले नॉर्थ जोन, फिर नेशनल चैम्पियनशिप है।

उसके कोच बताते है कि इसमें सीखने की जबरदस्त लगन है। जिस खिलाड़ी में सीखने की लगन होती है वह बहुत आगे जाता है। विक्रांत का कहना है कि अब सबसे बड़ी जरूरत उसके लिए खुद की पिस्टल का इंतजाम करने की है। उधार की पिस्टल से वह आगे नहीं जा सकेगी। भले ही इफ्तिसार के पास अपनी पिस्टल न हो लेकिन उसे विश्वास है कि वो एक दिन ऑलम्पिक में गोल्ड मेडल लाकर अपना देश का नाम रोशन करेंगी।
 

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