राममंदिर मॉडल पर छिड़ी बहस को शंकराचार्य ने सिरे से किया खारिज, कहा- ऊंचाई से ज्यादा भव्यता का महत्व

Edited By Ramkesh,Updated: 04 Jun, 2020 02:46 PM

shankaracharya rejected the debate on ram temple

राममंदिर का समतली करण का कार्य चल रहा है। इसी बीच कुछ संतो में मंदिर मॉडल को लेकर जंग छिड़ गई थी।

अयोध्या: राममंदिर का समतली करण का कार्य चल रहा है। इसी बीच कुछ संतो में मंदिर मॉडल को लेकर जंग छिड़ गई थी। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास के 82 वें जन्मोत्सव समारोह में शामिल होने के लिए ज्योतिष पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती अयोध्या पहुंचे । इसी बीच रामजन्म भूमि तीर्थ के महंत नृत्यगोपाल दास ने रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला का दर्शन किया।

शंकराचार्य श्री सरस्वती रात्रि प्रवास कर रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी के रुप में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर कार्यवाह भैय्याजी जोशी से भी भेंट करेंगे। इस बीच मणिराम छावनी में मीडिया से औपचारिक मुलाकात में शंकराचार्य ने दावा कि रामजन्मभूमि में प्रस्तावित राम मंदिर बहुत ही भव्य है। उन्होंने कहा कि इस मॉडल में किसी प्रकार से परिवर्तन की जरुरत नहीं है। उन्होंने मॉडल पर छिड़ी बहस को खारिज करते हुए कहा कि मंदिर की ऊंचाई से ज्यादा महत्व उसकी भव्यता का है। उन्होंने कहा कि मंदिर की भव्यता रामलला के विराजमान होने पर ही आएगी।

उन्होंने कहा कि रामजन्मभूमि में समतलीकरण का कार्य चल रहा है। इसके बाद भूमि पूजन की प्रक्रिया होगी। पुन: मंदिर के नींव की खुदाई शुरु होगी। उन्होंने कहा कि मंदिर आन्दोलन के दौरान गांव-गांव शिला पूजन के साथ देश भर के रामभक्तों ने प्रस्तावित मंदिर मॉडल की संस्तुति की है। इसे अब बदलना संभव नही है। उन्होंने कहा कि लोगों कि वैयक्तिक महत्वाकांक्षा को संस्था पर थोपा नहीं जा सकता है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि विशालता और गगनचुंबी का कोई निर्धारित पैमाना नहीं है। जहां तक पत्थरों का सवाल है तो उदयपुर व मकराना में सौ-सौ फिट नीचे तक पत्थर नहीं है और हैं भी तो वह कच्चे हैं जिनकी आयु बहुत कम है। इसके विपरीत राम मंदिर में जिन पत्थरों का प्रयोग होगा, उनकी आयु एक हजार वर्ष है।

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