कोराना से जंग: ऐ मां तेरा बलिदान देखकर ‘कोरोना’ भी रोया होगा

Edited By Ajay kumar,Updated: 22 Apr, 2020 10:58 AM

shamli mother raising three children

‘मां’ की ममता और उसके आंचल की छाया को शब्दों में बांधा नहीं जा सकता, उसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है।

शामली: ‘मां’ की ममता और उसके आंचल की छाया को शब्दों में बांधा नहीं जा सकता, उसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है। यूपी के शामली में भी एक मां की ममता इन दिनों कोरोना महामारी के हौंसलों को पस्त करती नजर आ रही है, क्योंकि इस मां ने महामारी की लपटों के बीच अपने तीन बच्चों को जिंदा रखने के लिए खुद को आग की वेदी में झोंक रखा है। पति द्वारा कुरूप समझकर ठुकराई गई यह महिला अपने जिगर के टुकड़ों के लिए वह सबकुछ कर रही है, जो एक बाप कभी भी नही कर सकता।

पति ने कुरूप समझकर ठुकराया, तीन बच्चों समेत छोड़ा घर
हम बात कर रहे हैं शामली के मिल रोड़ पर खुले आसमान के नीचे अपने तीन बच्चों के साथ रहने वाली महिला सरिता की। सरिता जाति से ब्राह्मण और खुद को संपन्न परिवार से बताती है, लेकिन हालातों ने उसे और उसके तीनों बच्चों को सड़क पर लाकर छोड़ दिया है। महिला के अनुसार वह बिहार की रहने वाली है। पति शीशपाल उसे कुरूप बताते हुए मारपीट करता था। एक दिन पति के अत्याचारों ने उसे तीनों बच्चों के साथ घर से निकलने पर मजबूर कर दिया। वह दर-दर की ठोकरें खाने के बाद ट्रेन में बैठकर शामली आ गई थी। फिलहाल यह महिला अपने तीनों अबोध बच्चों के साथ शामली में ही रह रही है। रात के समय वह अपने तीनों बच्चों के साथ नगर पालिका की दुकानों के अंधियारे गलियारे में दुबक जाती है, ताकि वह खुद को और अपने बच्चों को समाज की बुराईयों से बचा सके।
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एक टाइम चाय पिलाकर भरती है बच्चों का पेट
सरिता बातचीत और हाव-भाव से बिल्कुल सामान्य लगती है, लेकिन हालातों ने उसकी जिंदगी को तोड़ कर रख दिया है, लेकिन इसके बावजूद भी वह अपने बच्चों के लिए दिन-रात तपस्या कर रही है। सरिता ने बताया कि कोराना महामारी के बीच सभी दुकानें बंद रहती है। समाज सेवा करने वाले लोग दोपहर का खाना उपलब्ध करा देते हैं, लेकिन सुबह और शाम के समय खाना ढूंढने में थोड़ी मुश्किल होती है। यदि खाना नही मिलता, तो वह सड़क पर दो ईंट लगाकर कागजों से अंगीठी सुलगाते हुए बच्चों के लिए चाय बनाकर उनका पेट भरती है। बच्चों को देखकर कुछ लोग मांगने पर उसे दूध, चीनी और चाय की पत्ती देकर जाते हैं। वह अपने हिस्से की चीजें भी बचाकर बच्चों के लिए सुरक्षित रख लेती है, क्योंकि कभी-कभी कुछ भी नही मिलता। ऐसे में वह खुद का बचाया सामान भी अपने बच्चों को ही खिला देती है।

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बच्चों की चिंता रात को भी सोने नही देती
तीन बच्चों के साथ सड़क पर रहने वाली सरिता ने बताया कि वह मिल रोड पर इसलिए रहती है कि सामने पुलिस थाना है। इसके चलते बच्चे और वो यहां पर सुरक्षित रहते हैं। पुलिस वाले खाने-पीने और पैसे से तो मदद करते रहते हैं, लेकिन कोई भी उसकी समस्या को खत्म करने की नही सोचता। महिला ने अपने बच्चों की तरफ देखकर बताया कि पता नही उसे कब तक इन हालातों में रहना होगा। खुद की तो ठीक है, लेकिन बच्चों की चिंता उसे रातों को भी सोने नही देती।

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घरवाले ने मारपीट कर भगा दिया: सरिता 
बच्चों की मां सरिता से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि हम पटना के रहने वाले हैं। घरवाले ने मारपीट कर भगा दिया तो हम यहां आ गए। वहीं जब खाने के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि एक टाइम का खाना नसीब होता है। जब नहीं मिलता तो चाय से ही गुजारा करना पड़ता है।

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