किसानों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत बना लॉकडाउन, सपनों की फसल को ट्रैक्टर चलाकर खुद ही कर रहे नष्ट

Edited By Anil Kapoor,Updated: 04 May, 2020 01:42 PM

shamli lockdown became the biggest problem for farmers

कोरोना वायरस से बचाव के लिए जारी किए गए लॉकडाउन से किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। हालात ऐसे बन गए हैं कि किसान अपने खेतों पर खड़ी फसल को खुद ही नष्ट करने लगे हैं। शामली जिले में इन दिनों ऐसे मंजर आम नजर आ रहे हैं। रोजाना किसानों को हजारों बीघा...

शामली: कोरोना वायरस से बचाव के लिए जारी किए गए लॉकडाउन से किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। हालात ऐसे बन गए हैं कि किसान अपने खेतों पर खड़ी फसल को खुद ही नष्ट करने लगे हैं। शामली जिले में इन दिनों ऐसे मंजर आम नजर आ रहे हैं। रोजाना किसानों को हजारों बीघा जमीन पर खड़ी फसलों को नष्ट करते देखा जा सकता है। लॉकडाउन की मार से बेबस किसानों की सारी उम्मीदें चकनाचूर हो गई हैं। क्योंकि किसान इसी के भरोसे अपनी बेटी की शादी, कर्ज की किश्त, बच्चों की पढ़ाई और परिवार के गुजारे के सपने देखता है, लेकिन यदि किसान को अपने ही हाथों से तैयार फसल नष्ट करनी पड़े, तो इससे बड़ा दुख उसके लिए कुछ और नहीं हो सकता। उत्तर प्रदेश के शामली में बेबस किसान अपने सपनों की फसल पर खुद ही ट्रैक्टर चलाते नजर आ रहे हैं।

जानकारी मुताबिक शामली जिले में सब्जियां उगाने वाले किसानों की अच्छी खासी तादात है, जो बड़े पैमाने पर हजारों बीघा जमीन पर सब्जियां लगाते हैं। कोरोना महामारी के चलते लागू लॉकडाउन ने इन किसानों को खासा प्रभावित किया है। इसके चलते किसानों को भारी नुकसान हुआ है। लॉकडाउन के कारण किसानों की सब्जियां बामुश्किल ही मंडियों तक पहुंच पा रही है। यदि मंडी में पहुंच भी जाए, तो कोई बड़ा खरीददार नहीं मिल रहा है। महामारी से पहले इन किसानों की सब्जी देश के दूर-दराज के इलाकों समेत विदेशों तक सप्लाई होती थी, लेकिन कोराना ने सब कुछ चौपट कर दिया है। हालात ऐसे बन गए हैं कि अब यें किसान खेतों पर सड़ रही अपनी सब्जियों को खुद ही ट्रैक्टर चलाकर नष्ट कर रहे हैं।

बताया जा रहा है कि कोरोना महामारी से पैदा हुई विकराल भूख को शांत करने के लिए देश के किसान दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, लेकिन लॉकडाउन के चलते पैदा हुए हालातों ने किसानों की रीढ़ तोड़ कर रख दी है। फसल को खेतों से उठाकर मंडियों तक ले जाना और फिर खरीददार ढूंढना अब पहले की तरह आसान नहीं है। किसान कुलदीप ने बताया कि समय से खाद-पानी नहीं मिलने के चलते फसल में कीड़े रेंगने लगे हैं। फसल बिक भी नही रही है, इसी के चलते खेत को खाली करने के लिए वे अपनी फसल उजाड़ रहे हैं। सब्जी उगाने वाले किसान सतीश कुमार ने बताया उसने 50 बीघा जमीन ठेके पर लेकर सब्जी उगाई थी, लेकिन अब घर भी बिकने के हालात बन गए हैं। किसान ने बताया कि कहीं पर कोई खरीददार नहीं है। फसल को बचाने के लिए दवाईयां भी नहीं मिल रही है।

वहीं किसानों के हालातों का जायजा लेने के लिए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी नरेश टिकैत शामली पहुंचे। यहां उन्होंने थानाभवन क्षेत्र में पहुंचकर खुद की फसल को नष्ट कर रहे किसानों का दर्द साझा किया। चौधरी राकेश टिकैत ने बताया कि सरकार को उद्योगपतियों के अलावा इन किसानों के बारे में भी सोचने की जरूरत है, जो हालातों के सामने बेबस होने के बावजूद भी देश की भूख शांत करने में जुटे हुए हैं। उन्होंने बताया कि हमने सरकार से इन किसानों के लिए राहत पैकेज की मांग की है। सरकार यदि उद्योगपतियों का कर्जा माफ कर सकती है, तो किसानों के बारे में सोचना भी सरकार की ही जिम्मेदारी हैं।

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