Edited By Ruby,Updated: 08 Oct, 2018 05:41 PM
उत्तर प्रदेश की राजधानी में चल रहे चौथे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के अंतिम दिन सोमवार को आम जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए अपने-अपने क्षेत्रों में शोध/खोज करने वाले वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया। उद्योग और शिक्षा जगत के बीच...
लखनऊः उत्तर प्रदेश की राजधानी में चल रहे चौथे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के अंतिम दिन सोमवार को आम जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए अपने-अपने क्षेत्रों में शोध/खोज करने वाले वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया। उद्योग और शिक्षा जगत के बीच संवाद के तहत विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से प्रविष्टियां आमंत्रित की गई थीं।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि ई-कूड़े से माइक्रो बयोलोजिकल कणों को दूर करने की तकनीक विकसित करने के लिए डॉक्टर नितिन अधापुरे को सम्मानित किया गया। दूषित जल को साफ करने की टिकाऊ तकनीक विकसित करने के लिए डॉक्टर वनिता प्रसाद, सेनेटरी नैपकिन के लिए एन विगनेश, बैकटीरियल स्ट्रेंस को दूर करने की तकनीक के लिए नागेश सर्वादे और बायोलॉजीकल सैंपल से पैथोजन को अलग करने की तकनीक के लिए डॉक्टर शुभांगिनी को पुरस्कृत किया गया।
इसोफेगियल कैंसर के मामले में शोध के लिए निशांत कुमार, मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने के लिए डॉक्टर अनुपमा सिंह, आईओटी- कमोडिटी कैमरा की डाटा एनालिसिस विकसित करने के लिए डॉक्टर राजीव पांडे और प्राकृतिक फाइबर के क्षेत्र में शोध के लिए डॉक्टर मुर्गन कोट्टाईसामी को पुरस्कृत किया गया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी सचिव डॉक्टर रेनू स्वरूप ने यह पुरस्कार प्रदान किए।