Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 03 Dec, 2020 08:37 AM
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि ‘‘भगवान कृष्ण के नाम पर वृक्षों को काटने की इजाजत नहीं दी जा सकती'''' और उत्तर प्रदेश सरकार से मथुरा में कृष्ण-गोवर्धन सड़क के लिए
नयी दिल्ली/मथुराः उच्चतम न्यायालय ने कहा कि ‘‘भगवान कृष्ण के नाम पर वृक्षों को काटने की इजाजत नहीं दी जा सकती'' और उत्तर प्रदेश सरकार से मथुरा में कृष्ण-गोवर्धन सड़क के लिए काटे जाने वाले पेड़ों को लेकर आकलन करने को कहा। शीर्ष अदालत ने कहा कि ‘‘लकड़ी के मूल्य'' के हिसाब से नहीं बल्कि ऑक्सजीन देने की क्षमता वाले पहलुओं को ध्यान में रखते हुए आकलन करना होगा।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कहा कि राज्य सरकार यह बता पाने की स्थिति में नहीं है कि वन विभाग वृक्षों का किस तरह आकलन करेगा। आकलन को लेकर अपनाये जाने वाले तरीके के बारे में अवगत कराने के लिए चार हफ्ते का वक्त दिया जा रहा है। राज्य सरकार और लोक निर्माण विभाग समेत उसके प्राधिकारों ने एक याचिका दायर कर मथुरा में कृष्ण-गोवर्धन रोड परियोजना के लिए 2940 वृक्षों को काटने की अनुमति देने का अनुरोध किया है ।
राज्य के पीडब्ल्यूडी की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि परियोजना के तहत मथुरा में भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर स्थित मंदिर तक जाने वाली सड़क को चौड़ा भी किया जाना है, इस पर पीठ ने कहा, ‘‘भगवान कृष्ण के नाम पर आप हजारों वृक्षों को नहीं काट सकते हैं।'' पीठ ने कहा, ‘‘सिर्फ लकड़ी के हिसाब से आकलन नहीं करें बल्कि आकलन का ऐसा तरीका अपनाएं जिसमें यह ध्यान रखा जाए कि अगर किसी खास पेड़ को नहीं काटा गया तो बाकी जीवन काल में उससे ऑक्सीजन पैदा होने की कितनी क्षमता होगी।'' ताजमहल के संरक्षण को लेकर पर्यावरणविद एम सी मेहता द्वारा दायर जनहित याचिका और कुछ अन्य याचिकाओं पर सुनवाई शुरू होने पर पीठ ने राज्य सरकार से पूछा कि परियोजना के लिए कितने वृक्ष काटे जाएंगे।