Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 15 Jan, 2021 12:27 PM
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि एससी और एसटी एक्ट के तहत अपराध पर शिकायतकर्ता यदि प्रथम द्दष्टया केस साबित नहीं करता तो आरोपियों को अग्रिम जमानत प्राप्त...
प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि एससी और एसटी एक्ट के तहत अपराध पर शिकायतकर्ता यदि प्रथम द्दष्टया केस साबित नहीं करता तो आरोपियों को अग्रिम जमानत प्राप्त करने की अर्जी देने का अधिकार है। धारा 18 एवं 18 ए इसमे बाधक नहीं होगी। याची का कहना था कि जाति सूचक गाली देने की घटना सार्वजनिक स्थान पर घटित नहीं हुई। इसलिए एक्ट के तहत कोई अपराध नहीं हुआ।
न्यायालय ने याची को अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल करने की छूट दी है और कहा है कि अदालत में सारे तथ्य रखे जाय। न्यायमूर्ति एस पी केशरवानी तथा न्यायमूर्ति शमीम अहमद की खंडपीठ ने रमाबाई नगर के शिवली थाना क्षेत्र के निवासी गोपाल मिश्र की याचिका पर यह आदेश दिया । याची का कहना था कि सह अभियुक्त दीपक व अनिल कुमार शिकायतकर्ता के करीबी संबंधी है। उनके बीच विवाद मे याची बीच बचाव करने गया था। झूठा आरोप लगाकर फंसाया गया है। जाति सूचक गाली देने की घटना किसी सार्वजनिक स्थान पर घटित नहीं हुई है, इसलिए उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगायी जाय।
याची का यह भी कहना था कि यदि एससी और एसटी एक्ट के तहत अपराध बनता ही नहीं तो आरोपी को अग्रिम जमानत प्राप्त करने का अधिकार है। धारा 18 इसमें बाधक नहीं होगी। यह धारा 18 अनुसूचित जाति और जन जाति के विरुद्ध अपराध मे अग्रिम जमानत पर रोक लगाती है।