संजय सिंह ने राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन को बताया फर्जी, कहा- घोटाले में शामिल अधिकारियों का जेल जाना तय

Edited By Umakant yadav,Updated: 10 Sep, 2021 06:20 PM

sanjay singh attack on yogi state drinking water and sanitation mission fake

उत्तर प्रदेश में राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन (एसडब्ल्यूएसएम) को लेकर योगी सरकार पर हमलावर आम आदमी पार्टी (आप) सांसद संजय सिंह ने कहा कि इस मिशन के जरिये एनआरएचएम से बड़ा घोटाला करने की साजिश की जा रही है। सिंह ने शुक्रवार को पत्रकारों से कहा कि इस...

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन (एसडब्ल्यूएसएम) को लेकर योगी सरकार पर हमलावर आम आदमी पार्टी (आप) सांसद संजय सिंह ने कहा कि इस मिशन के जरिये एनआरएचएम से बड़ा घोटाला करने की साजिश की जा रही है। सिंह ने शुक्रवार को पत्रकारों से कहा कि इस घोटाले में शामिल सभी अधिकारियों का जेल जाना तय हैं। बिना पंजीकरण की संस्था को हजारों करोड़ के काम मिलने और इसका बैंक अकाउंट खुलने का ऑडिट और जांच दोनों होनी चाहिए।       

उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की गाइड लाइन और प्रदेश के ग्राम्य विकास विभाग के 12 अक्टूबर 2012 को जारी आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन (एसडब्ल्यूएसएम) एक पंजीकृत सोसायटी होनी चाहिए। एक आरटीआई के लिखित जवाब में लखनऊ के रजिस्ट्रार चिट्स फंड एंड सोसायटीज़ ने पहले ये बताया कि उनके अभिलेखों में उक्त नाम से कोई संस्था पंजीकृत नहीं है लेकिन दूसरे ही दिन वो लिखित जवाब देते हैं कि राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन के नाम से तो नहीं पर उसके मिलते जुलते नाम उत्तर प्रदेश वाटर सप्लाई एंव सैनीटेशन के नाम से एक सोसायटी साल 1999-2000 में उनके कार्यालय के अभिलेखों में पंजीकृत है। जबकि इसी सवाल की आरटीआई के लिखित जवाब में राज्य पेयजल मिशन ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया।       

सिंह ने जल जीवन मिशन के कई इंजीनियरों के पत्रों का हवाला देते हुए कहा कि उनकी चिट्ठियो ने सरकार के कपड़े उतार कर रख दिए हैं, इंजीनियरों ने त्रिपक्षीय अनुबंधों को लेकर मिशन के आला अधिकारियों पर सवाल खड़े किए हैं कि जब सारे टेंडर और वेंडर ऊपर से ही तय कर दिए गए तो फिर जिला स्तर की समितियों का औचित्य क्या रह जाता है। इसी क्रम में इंजीनियरों ने एक पत्र में वित्तीय सीमा को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं जिसमें कहा गया है कि एक्सईएन को विभाग की तरफ से मात्र 1 करोड़ की ही वित्तीय पावर है तो वो इससे अधिक की राशि के अनुबंध कैसे करें।             

उन्होंने कहा कि इंजीनियरों ने लिखा है कि टेंडर पाई कंपनियां जल निगम की स्वीकृत दरों से 30-40 प्रतिशत ज्यादा की दरों पर एस्टीमेट बनवा रही हैं जिसको लेकर पेयजल मिशन के अधिषाशी निदेशक की तरफ से एमडी जल निगम से पत्र भेजकर तीन दिनों में जल निगम के कार्यों एवं सामग्रियों के लिए नये स्वीकृत दरों की मांग की गई है। इसका मतलब पहले एसडब्ल्यूएसएम में बढ़ी दरों पर काम आवंटित हो गए तो उसे जल निगम की पहले की दरों को रिवाइज़ कराकर एसडब्ल्यूएसएम की दरों के बराबर करने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है।

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