Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 22 Feb, 2021 05:25 PM
झकझोर कर देने वाली कहानी की किरदार "शबनम" यह ऐसा नाम है, जिसको सुनकर लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। 2008 में जनपद जेपीनगर में शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के खातिर अपने परिवार के 7 लोगों की निर्मम हत्या की थी। इस मामले में शबनम बावनखेड़ी हत्याकांड के...
अमरोहा: झकझोर कर देने वाली कहानी की किरदार "शबनम" यह ऐसा नाम है, जिसको सुनकर लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। 2008 में जनपद जेपीनगर में शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के खातिर अपने परिवार के 7 लोगों की निर्मम हत्या की थी। इस मामले में शबनम बावनखेड़ी हत्याकांड के नाम से जानी जाती है और तभी से क़ैद में है और इसे फांसी की सज़ा सुनाई जा चुकी है। फिलहाल वह रामपुर ज़िला कारागार के महिला बैरेक में बंद है।
राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने के बाद अब कभी भी शबनम को फांसी हो सकती है। शबनम इस वक्त रामपुर के जिला कारागार में बंद है और डेथ वारंट मिलते ही कभी भी वह मथुरा के लिए रवाना हो सकती है। यह रामपुर ज़िला जेल की महिला बैरक नंबर 14 में है। इसका व्यवहार सामान्य है और कोऑपरेटिव है। महिला बंदियों के साथ में जेल प्रशासन के साथ में हंसना बोलना बात करना उसमें कोई भी असामान्य गतिविधि नहीं है।
अगर शबनम की दया याचिका खारिज भी हो जाती है तो भी उसे कुछ दिनों को मोहलत और मिल सकती है। क्योंकि सलीम ने भी राष्ट्रपति के पास अपनी दया याचिका भेजी है। क्योंकि मामला एक ही है इसलिए जबतक सलीम की दया याचिका पर कोई फैसला नहीं हो जाता तब तक शबनम का डेथ वॉरंट रुक सकता है।
वहीं शबनम के चाचा ने भी उसकी फांसी का विरोध किया है। हालांकि उनका विरोध अलग मायने रखता है। शबनम के चाचा ने मांग की है कि उसकी बेटी की हत्यारिन को फांसी न हो बल्कि ताउम्र सलाखों के पीछे रखा जाए। जिससे वो वहीं घुट-घुट कर मरे। इससे पहले चाचा-चाची ने कहा था कि शबनम को चौराहे पर फांसी पर लटकाया जाना चाहिए।