Edited By Umakant yadav,Updated: 29 Sep, 2020 10:41 AM
शहीदे आजम भगत सिंह यदि आज जीवित होते तो देश के वर्तमान हालात को देख कर दु:खी होते। सहारनपुर में रह रहे शहीदे आजम के भतीजे किरण सिंह सिंधु ने सोमवार को भगत सिंह जी के 113 वें जन्म दिवस पर कहा...
सहारनपुर: शहीदे आजम भगत सिंह यदि आज जीवित होते तो देश के वर्तमान हालात को देख कर दु:खी होते। सहारनपुर में रह रहे शहीदे आजम के भतीजे किरण सिंह सिंधु ने सोमवार को भगत सिंह जी के 113 वें जन्म दिवस पर कहा कि उनके चाचा भगत सिंह के सपने अधूरे हैं। उनके सपनों का भारत जिसमे असमानता न हो, संसाधनों का बंटवारा न हो, और भ्रष्टाचार न हो। मजदूरों व किसानों की आजादी के लिए जो लक्ष्य उन्होंने बनाया वह पूरा नहीं हो पाया।
उन्होंने कहा कि किसानों के शोषण के खिलाफ भगत सिंह व उनके चाचा सरदार अजीत सिंह ने पगड़ी सम्भाल जट्टा का नारा दिया था। उसी से प्ररेणा पाकर भगत सिंह व लाला लाजपत राय ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज उठायी थी। आज भी हालात वैसे ही मिलते जुलते हैं। उन्होंने दावा किया कि फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार ने समाप्त कर दिया है। अब धान का जो न्यूनतम समर्थन मूल्य अठारह सौ रूपये है। सरकार उसको इस मूल्य पर खरीदती है। जब समर्थन मूल्य समाप्त हो जाता हैं तब धान का मूल्य गिर जाता है। मजबूरन किसान को धान चौदह सौ रूपये पर बेचना पड़ता है।
सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम कानून समाप्त कर दिया है, जिसका नतीजा किसानो को भुगतना पडेगा। साथ-साथ उपभोक्ता को भी भुगतना पड़ेगा। इसका आर्थिक सुधारों से क्या लेना देना था जो कोरोना काल में अध्यादेश लाकर इसे लागू करने की क्या जरूरत थी। अब देश उल्टे रास्ते पर चल पडा है। जिस तरह कि परिस्थितियाँ देश की हैं, ऐसे में ये एक नया भगत सिंह पैदा कर देंगी। भगत सिंह व उनके साथियों ने जिन्होंने निस्वार्थ भाव से देश के लिए बलिदान दिया उनके जज्बे को नई पीढ़ी में लाने की जरूरत है।