बलिया में 19 अगस्त को मनाया जाता है बलिदान दिवस, जानिए क्याें?

Edited By Ramkesh,Updated: 19 Aug, 2020 03:48 PM

sacrifice day is celebrated on 19 august in ballia know what

1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में आजाद हुए देश के तीन जिलों में से एक उत्तर प्रदेश के बलिया जिले ने बुधवार को अपनी आजादी की 80वीं वर्षगांठ मनाई।

बलिया: 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में आजाद हुए देश के तीन जिलों में से एक उत्तर प्रदेश के बलिया जिले ने बुधवार को अपनी आजादी की 80वीं वर्षगांठ मनाई। आजादी का जश्न सुबह नौ बजे शुरू हुआ। जिलाधिकारी हरिप्रताप शाही व पुलिस अधीक्षक देवेंद्र नाथ ने जिला कारागार पहुंच कर जेल का फाटक खुलवाया। आजादी का जश्न मनाने वाले सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए जेल के अंदर गए और वहां से इंकलाब जिंदाबाद व 19 अगस्त जिंदाबाद का नारा लगाते हुए बाहर निकले। सबसे आगे हाथ में तिरंगा पकड़े स्वतंत्रता सेनानी राम अनंत पाण्डेय थे। बलिया में आजादी का जश्न मनाने की यह परम्परा बहुत पुरानी है। स्वतंत्रता सेनानी राम अनंत पाण्डेय ने कहा कि 19 अगस्त 1942 को यह घटना घटी थी।
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महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन की आग में पूरा जिला जल रहा था। जनाक्रोश चरम पर था। जगह- जगह थाने जलाये जा रहे थे। सरकारी दफ्तरों को लूटा जा रहा था। रेल पटरियां उखाड़ दी गई थी। जनाक्रोश को कुचलने के लिए अंग्रेजी सरकार ने आंदोलन के सभी नेताओं को जेल में बंद कर दिया था। लेकिन लोगों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा था। 19 अगस्त को लोग अपने घरों से सड़क पर निकल पड़े थे। जिले के ग्रामीण इलाके से शहर की ओर आने वाली हर सड़क पर जन सैलाब उमड़ पड़ा था। भारी भीड़ शहर की ओर बढ़ रही थी। जैसे ही यह सूचना प्रशासन को मिली उसके होश उड़ गए। अफसरों ने अपने परिवार को पुलिसलाइन में सुरक्षित कर दिया था। तत्कालीन कलेक्टर जे.निगम जिला कारागार पहुंचे थे। जेल में बंद आंदोलन के नेताओं को रिहा करते हुए भीड़ का आक्रोश शांत करने का निवेदन किया था।
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जेल में बंद आंदोलन के नेता बाहर निकले थे। चित्तू पाण्डेय के नेतृत्व में भीड़ आज के क्रांति और उस समय के टाउनहाल के मैदान में पहुंची थी। वहीं बलिया के आजाद होने की घोषणा हुई थी। चित्तू पाण्डेय आजाद बलिया के पहले कलेक्टर घोषित किए गए थे। अस्सी वर्ष पहले घटी उस घटना को आज परम्परागत ढंग से दोहराया गया। चेहरे पर मास्क लगाए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए लोग अमर सेनानी राज कुमार बाघ, वीर कुंवर सिंह, शहीद पण्डित राम दहिन ओझा, अमर सेनानी मुरली बाबू, शेरे बलिया चित्तू पाण्डेय की प्रतिमा स्थल पर पहुंचे। लोगों ने इन सेनानियों की प्रतिमा को प्रणाम कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। आजादी के इस जश्न में लोगों ने कोरोना को लेकर प्रशासन द्वारा जारी एडवाइजरी का पालन अनुशासित नागरिक की तरह किया 19 अगस्त 1942 को याद किया। जनकवि पं. जगदीश ओझा सुन्दर ने इस घटना को अपनी कविता में रेखांकित करते हुए कहा था जर्जर तन बूढ़े भारत की यह मस्ती भरी जवानी है ।

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