Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Jan, 2018 01:58 PM
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार ने धार्मिक स्थानों मंदिर, मस्जिद और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर बिना इजाज़त लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ...
लखनऊः इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार ने धार्मिक स्थानों मंदिर, मस्जिद और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर बिना इजाज़त लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही योगी सरकार ने लाउडस्पीकर हटाने की आख़िरी तारीख 15 जनवरी निर्धारित की थी। प्रशासन से इजाजत के आवेदन की आखिरी तारीख 20 जनवरी बताई गई। इसके बाद आदेश का उल्लंघन करने वालों को 5 साल का कारावास या 1 लाख रुपए का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
जानकारी के मुताबिक प्रमुख सचिव गृह को इस मामले में एक फरवरी को हाई कोर्ट को रिपोर्ट देनी है। प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने सभी जिलों के डीएम और एसपी को निर्देश दिए हैं कि राजस्व और पुलिस की एक टीम बनाकर ऐसे धार्मिक स्थलों और सार्वजनिक स्थानों को चिह्नित कर लें, जहां बिना परमिशन के लाउडस्पीकर बजाए जा रहे हैं। अगर वे परमिशन नहीं लेते हैं और लाउडस्पीकर बजाते हैं तो उनके खिलाफ ध्वनि प्रदूषण नियम-2000 के तहत कार्रवाई की जाए।
नियम न मानने पर सख्त ऐक्शन
निर्देश में यह भी कहा गया है कि जिन्हें लाउडस्पीकर या आवाज वाले अन्य यंत्र लगाने की अनुमति दी जाए, वहां भी ध्वनि प्रदूषण नियम-2000 के अंतर्गत क्षेत्र और समय के मुताबिक निर्धारित ध्वनि सीमा का पालन किया जाए। नियम न मानने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए। शादी समारोहों, जुलूस और जलसों के दौरान भी इनका पालन किया जाए।
बिना अनुमति लाउडस्पीकर बजाने पर कड़ी सजा
बिना अनुमति लाउडस्पीकर बजाने पर कड़ी सजा का प्राविधान है। पर्यावरण (संरक्षण) 1986 अधिनियम की धारा 15 के तहत यह दंडनीय अपराध है। इसका उल्लंघन करने पर पांच साल का कारावास या एक लाख का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। इसके तहत हर दिन के उल्लंघन के पांच हजार रुपये प्रतिदिन की सजा अलग से है।