देश की 41 बिजली कम्पनियों की रेटिंग में यूपी की 5 में से 4 कंपनियां फिसड्डी

Edited By Anil Kapoor,Updated: 20 Jul, 2018 09:18 AM

rating of 41 power companies in the country 4 out of 5 companies in up

उत्तर प्रदेश में बिजली व्यवस्था के सरकारी दावे और हकीकत में कितना अंतर है, इसका अंदाजा भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय द्वारा देश की सभी बिजली कम्पनियों की जारी 6वीं वार्षिक रेटिंग से लगता है। इसमें उत्तर प्रदेश की 5 में से 4 बिजली कंपनियां फिसड्डी...

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बिजली व्यवस्था के सरकारी दावे और हकीकत में कितना अंतर है, इसका अंदाजा भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय द्वारा देश की सभी बिजली कम्पनियों की जारी 6वीं वार्षिक रेटिंग से लगता है। इसमें उत्तर प्रदेश की 5 में से 4 बिजली कंपनियां फिसड्डी साबित हुई हैं। इस रेटिंग में 100 नम्बर के मानक पर अलग-अलग ग्रेड दिए गए हैं।

इसके तहत देश की जिस बिजली कम्पनी को 80 से 100 नम्बर मिलेंगे, वह ए-प्लस होगी। 65 से 80 नम्बर पाने वाली कंपनी को ए-ग्रेड, इसी तरह 50 से 65 नम्बर पाने वाली कंपनी को बी-प्लस ग्रेड व जिस कम्पनी को 35 से 50 नम्बर मिलेंगे वह बी-ग्रेड में रखी जाएगी। वहीं 20 से 35 नम्बर पाने वाली कम्पनियां सी-प्लस और फिसड्डी यानी 0 से 20 नम्बर पाने वाली कम्पनी सी ग्रेड में होगी।

ग्रेडिंग में यह रही उत्तर प्रदेश की स्थिति:-
- कानपुर इलैक्ट्रीसिटी सप्लाई कम्पनी (केस्को) बी-ग्रेड  35 से 50
- पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम सी-ग्रेड 0 से 20
- मध्यांचल विद्युत वितरण निगम सी-ग्रेड  0 से 20
- पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम सी-ग्रेड 0 से 20
- दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम सी-ग्रेड  0 से 20

सभी बिजली कम्पनियां पूरी तरह फि सड्डी साबित हुईं: अवधेश
इस संबंध में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व विश्व ऊर्जा कौंसिल के स्थायी सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि यूपी की सभी बिजली कम्पनियां पूरी तरह फिसड्डी साबित हुई हैं। 4 बिजली कम्पनियां पश्चिमांचल, मध्यांचल पूर्वांचल, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को सी ग्रेड मिला है। वहीं केस्को कम्पनी को बी ग्रेड मिला है। पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम सी-प्लस से नीचे सी ग्रेड में आ गया। वहीं केस्को ऊपर उठकर सी प्लस से बी ग्रेड में पहुंच गया।

गुजरात और उत्तराखंड की बिजली कंपनियां टॉप पर
देश में पहले पायदान पर गुजरात व उत्तराखंड राज्य की बिजली कम्पनियां हैं, जिन्होंने ए-प्लस श्रेणी में स्थान प्राप्त किया है। भारत सरकार द्वारा ग्रेडिंग का जो प्रमुख मानक है उसमें एटीसी हानियों के लिए 28 नम्बर रखा गया है, जहां वित्तीय पैरामीटर के लिए 33 नम्बर रखा गया है और इसी प्रकार बिजली खरीद सरकार सपोर्ट अन्य मानकों के लिए भी अलग-अलग नम्बर रखे गए हैं। कुल प्राप्तांक 100 नम्बर का है। अवधेश वर्मा कहते हैं कि यूपी के कंपनियों के प्रदर्शन से यह साफ है कि पावर कार्पोरेशन प्रबंधन कम्पनियों को आगे बढऩे में पूरी तरह नाकाम है।

बिजली कम्पनियों के उच्च प्रबन्धन की भी जवाबदेही तय की जाए: उपभोक्ता परिषद
चिंताजनक बात यह है कि देश की 8 कम्पनियों को सबसे ज्यादा खराब ग्रेडिंग मिली है। इनमें 4 कम्पनियां यूपी की हैं। उन्होंने कहा कि यूपी पावर कार्पोरेशन सुधार के बड़े-बड़े दावे करता है लेकिन हकीकत सबके सामने है। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता परिषद प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग है कि बिजली कम्पनियों के उच्च प्रबन्धन की भी जवाबदेही तय की जाए। एक तय समय सीमा के तहत उनके द्वारा अच्छा प्रदर्शन न किया जाए तो उनके खिलाफ  कठोर कार्रवाई की जाए, यही नहीं वर्तमान में जो बिजली कम्पनियों की ग्रेडिंग खराब आई हैं, उसके लिए भी प्रबन्धन के खिलाफ जवाबदेही तय करते हुए कठोर कदम उठाए जाएं।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!