यूपी के बंटवारे की मांग पर बोले राजनाथ- आबादी बोझ नहीं, इसके सही इस्तेमाल की जरूरत

Edited By Anil Kapoor,Updated: 24 Dec, 2018 09:08 AM

rajnath on demand of sharing up not population burden it needs correct use

उत्तर प्रदेश को चार हिस्सों में बांटने की मांग के स्वर फिर तेज होने के बीच केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे अवांछित बताया। उन्होंने कहा कि आबादी कोई बोझ नहीं बल्कि एक लाभांश है और उसका सही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। गृह मंत्री ने ‘उत्तर प्रदेश...

लखनऊ: उत्तर प्रदेश को चार हिस्सों में बांटने की मांग के स्वर फिर तेज होने के बीच केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे अवांछित बताया। उन्होंने कहा कि आबादी कोई बोझ नहीं बल्कि एक लाभांश है और उसका सही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। गृह मंत्री ने ‘उत्तर प्रदेश गौरव सम्मान‘ समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि लोग यह कहते हैं कि उत्तर प्रदेश का बंटवारा किए बगैर इसका विकास नहीं हो सकता। कल को कोई यह भी कहना शुरू करेगा कि आबादी के लिहाज से चीन के बाद भारत सबसे बड़ा देश है और यह मुल्क भी तब तक विकसित नहीं हो सकता, जब तक इसके टुकड़े ना किए जाएं।

उन्होंने कहा कि जनसंख्या को कभी बोझ नहीं माना जाना चाहिए। यह एक डेमोग्रैफिक डिविडेंट (जनसांख्यिकीय लाभांश) है। जनसंख्या हमारी श्रमशक्ति है। इसका उपयोग कैसे किया जाए और हम देश के विकास में उसका अधिकतम योगदान कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं, इसकी तकनीक खोजने की जरूरत है। अनावश्यक परेशान होने की जरूरत नहीं है। गृह मंत्री ने कहा कि हमारा उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है जिसमें ना तो प्राकृतिक सम्पदा की कमी है और ना ही आवश्यक संसाधनों की। इसके बंटवारे की जरूरत नहीं है। सिंह ने इस मौके पर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान करने वाली 24 हस्तियों को ‘उत्तर प्रदेश गौरव सम्मान‘ से नवाजा।

उल्लेखनीय है कि दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी विकास की दृष्टि से उत्तर प्रदेश को चार हिस्सों में बांटने की मांग कर रही है। इसके लिए वह हाल में हस्ताक्षर अभियान भी चला चुकी है। इसके अलावा खुद उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी भी उत्तर प्रदेश को चार हिस्सों में बांटने की मांग कर रही है और आगामी लोकसभा चुनाव में वह इस मुद्दे को लेकर जनता के बीच जाएगी। वैसे उत्तर प्रदेश के बंटवारे की मांग पहले भी कई बार उठ चुकी है लेकिन इस पर कोई ठोस कदम तत्कालीन मायावती सरकार ने उठाया था। नवम्बर, 2011 में मायावती सरकार ने राज्य को चार हिस्सों पूर्वांचल, पश्चिम प्रदेश, बुंदेलखंड और अवध प्रदेश में बांटने का प्रस्ताव विधानसभा में पारित करवाकर केन्द्र के पास भेजा था।

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