कुंभ क्षेत्र में वर्षा और ओले ने जमीन पर बिछा दी सफेद चादर, श्रद्धालुओं में मची अफरा-तफरी

Edited By Anil Kapoor,Updated: 25 Jan, 2019 12:38 PM

rain and wet in the aquarius area spread the white sheets on the ground

दुनिया के सबसे बड़े धर्मिक समागम कुंभ क्षेत्र में सुबह वर्षा के साथ ओले गिरने से कल्पवासियों के डेरे में अफरा तफरी मच गई। अचानक हुई बारिश से सबसे अधिक प्रभाव कुंभ क्षेत्र में दिखाई पड़ा जहां खुले आसमान के नीचे सो रहे श्रद्धालुओं को उठकर इधर-उधर ठौर...

कुंभ नगर(उप्र): दुनिया के सबसे बड़े धर्मिक समागम कुंभ क्षेत्र में सुबह वर्षा के साथ ओले गिरने से कल्पवासियों के डेरे में अफरा तफरी मच गई। अचानक हुई बारिश से सबसे अधिक प्रभाव कुंभ क्षेत्र में दिखाई पड़ा जहां खुले आसमान के नीचे सो रहे श्रद्धालुओं को उठकर इधर-उधर ठौर तलाशने के लिए भटकना पड़ा। जिसको जहां जगह मिली, उसने वहां शरण ली। अचानक हुई बरसात को देखकर ऐसा लग रहा है कि मानो इंद्र देव कल्पवासियों और संगम तट पर खुले आसमान के नीचे सो रहे श्रद्धालुओं की परीक्षा ले रहे हैं। देखना चाहते हैं किसे पास कितनी श्रद्धा और संयम है।

PunjabKesariकल्पवासियों और कुंभ में स्नान की मिन्नत लेकर संगम पहुंचे खुले आसमान के नीचे सोने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि बिना परीक्षा के फेल-पास कैसे पता चलेगा। कौन किस आस्था से आया है। कल्पवासियों और स्नानर्थियों का मानना है जिसकी जितनी दृढ़ आस्था उसको वैसा फल अवश्य मिलता है। सबसे बड़ी परेशानी संगम में कल्पवास करने वाले कल्पवासियों के सामने उत्पन्न हो गई है। एक तरफ प्रशासन द्वारा कल्पवासियों को अपर्याप्त सुविधा और दूसरी तरफ इंद्र देव का कोप मानो कल्पवासियों के संयम की परीक्षा ले रहा हैं। भोर में तेज बारिश के साथ ओलो की बौछार ने जमीन पर सफेद चादर बिछा दी है।

PunjabKesariकल्पवासियों ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि कुंभ मेले में कल्पवासियों को पर्याप्त सुविधा नहीं दी जा रही है। उन्हें एक किनारे कर दिया गया है। व्यवस्था के नाम पर केवल पंडों के शिविर उपलब्ध कराए गए हैं। वर्षा से बचाव और कड़कड़ाती सर्दी के लिए अलाव वगैरह की कोई व्यवस्था नहीं है। बारिश ने कल्पवासयियों की मुश्किलें बढ़ा दी है। सेक्टर 6 में परिवार के साथ कल्पवास करने आए अरविंद कुमार मिश्र, रमाशंकर एवं जंग बहादुर समेत कई लोगों ने दर्द बताया। उन्होंने बताया कि शिविर में वर्षा से उनके ओढने-बिछाने वाले विस्तर और कपड़े गीले हो गए हैं। यदि प्रशासन सुरक्षित और पर्याप्त व्यवस्था करता तो उन्हें यह दिन नहीं देखने पड़ते।

PunjabKesariउन्होंने बताया कि गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की रेती पर संयम, अहिंसा, श्रद्धा और कायाशोधन का कल्पवासी कल्पवास करता है। ईश्वर उनकी परीक्षा लेता है। हम भी उसकी परीक्षा देने के लिए तैयार रहते हैं। हर साल कल्पवासी गंगा तट पर कल्पवास करता है। उन्होंने बताया जिस प्रकार विद्यार्थी पढ़ाई के बाद परीक्षा देता है उसी प्रकार कल्पवास भी कल्पवासियों की परीक्षा है। उन्होंने प्रशासन की व्यवस्था पर खेद व्यक्त किया। सड़क किनारे सो रहे श्रद्धालुओं को इधर-उधर भागकर ठौर तलाशने को मजबूर कर दिया। रेलवे स्टेशन और बस अड्डों पर लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

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