पंजाब केसरी की खबर का बड़ा असर: शख्स को मिला इंसाफ, आखिर 15 साल बाद साबित किया खुद को जिंदा

Edited By Anil Kapoor,Updated: 09 Feb, 2021 03:57 PM

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उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में पंजाब केसरी की खबर का बड़ा असर देखने को मिला है। जहां पिछले 15 वर्षों से खुद को जिंदा साबित करने के लिए संघर्ष कर रहे भोला सिंह को आज जिला प्रशासन ने जिंदा होने का सबूत दिया। भोला सिंह का नाम सरकारी खतौनी में चढ़ाकर...

मिर्जापुर: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में पंजाब केसरी की खबर का बड़ा असर देखने को मिला है। जहां पिछले 15 वर्षों से खुद को जिंदा साबित करने के लिए संघर्ष कर रहे भोला सिंह को आज जिला प्रशासन ने जिंदा होने का सबूत दिया। भोला सिंह का नाम सरकारी खतौनी में चढ़ाकर उन्हें खतौनी का प्रमाण पत्र दिया गया। पंजाब केसरी ने प्रमुखता से भोला सिंह की खबर को चलाया था, जिसका असर अब सामने आया है।

जानकारी मुताबिक मिर्जापुर में एक जिंदा शख्स को कागजों में मृत दिखा दिया गया। इसके बाद वह 15 वर्षों तक खुद के जिंदा होने के सबूत देता रहा। भोला के सगे भाई ने ही जमीन के लालच में लेखपाल के साथ मिलकर सरकारी कागजों पर उसे मृत दिखा दिया था। इसके बाद से भोला खुद को जिंदा साबित करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहा था। आखिर में भोला की जीत हुई और तहसीलदार के आदेश पर सरकारी दस्तावेजों में उसका नाम दर्ज किया गया।

मिर्जापुर के अमोई गांव के रहने वाले भोला ने 2005 में अपने भाई राजनारायण पर लेखपाल और कानूनगो की मदद से जमीन के कागज (खतौनी) पर उन्हें मृतक दर्ज कराए जाने का आरोप लगाया था।  सिटी ब्लॉक के रहने वाले  भोला का कहना था कि पिता की मौत के बाद हम 2 भाइयों में जमीन बटकर सरकारी कागज पर दर्ज हो गई थी, लेकिन कुछ दिनों बाद भाई राजनारायण ने लेखपाल और कानूनगो के साथ मिलकर हमारा नाम खतौनी से हटाकर हमको मृत घोषित कर दिया था।

इस बात का पता लगने पर भोला राम 2005 से  खुद को सरकारी कागजों पर जीवित साबित करने के लिए अधिकारियों के पास चक्कर लगाने लगा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही थी। जिला कलेक्ट्रेट में डीएम कार्यालय के सामने भोला सिंह 16 जनवरी 2021 को साहब मैं जिंदा हूं का बैनर लेकर बैठा। इसके बाद पंजाब केसरी पर खबर चलने के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने संज्ञान लेकर जिला प्रशासन को कार्रवाई का निर्देश दिया।

डीएम प्रवीण कुमार लक्षयकार ने इस मामले दोनों भाइयों का डीएनए टेस्ट कराने का आदेश दिया। भोला ने डीएनए के लिए अपना ब्लड जिला अस्पताल में आकर दिया। मगर भाई राजनारायण ने डीएनए जांच के लिए खून नहीं दिया। इस मामले में तहसील न्यायालय में मुकदमा था। तहसीलदार ने बताया कि इस बीच हमने जल्दी-जल्दी मामले की सुनवाई की तो साक्ष्य, कागजों और गवाहों के आधार पर भोला सही पाए गए। इसके बाद फिर से उनका नाम खतौनी में दर्ज करने के आदेश दे दिया गया है। आज भोला खतौनी में खुद के जिंदा पाने का प्रमाण पत्र पाकर बहुत खुश दिखे।

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