गौतमबुद्ध जिले में महिलाओं की सुरक्षा के लिए अलग से महिला डीसीपी और एसीपी की तैनाती

Edited By PTI News Agency,Updated: 05 Jun, 2020 07:39 PM

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नोएडा, पांच जून (भाषा) उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले में महिला और बाल सुरक्षा को मजबूत करने के उद्देश्य से पुलिस आयुक्त आलोक सिंह ने अलग से महिला डीसीपी और एसीपी की तैनाती की है। बच्चों वह महिलाओं की सुरक्षा के लिए गौतमबुद्ध नगर...

नोएडा, पांच जून (भाषा) उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले में महिला और बाल सुरक्षा को मजबूत करने के उद्देश्य से पुलिस आयुक्त आलोक सिंह ने अलग से महिला डीसीपी और एसीपी की तैनाती की है। बच्चों वह महिलाओं की सुरक्षा के लिए गौतमबुद्ध नगर कमिश्नरेट पुलिस की यह महत्वाकांक्षी योजना है।
पुलिस आयुक्त के उप- निदेशक सूचना दिनेश गुप्ता ने बताया कि इस योजना की नींव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा लखनऊ और गौतमबुद्धनगर में पुलिस आयुक्त प्रणाली की घोषणा करने के दौरान रखी गई थी, जिसको अब अमली जामा पहना दिया गया है।

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने आयुक्त प्रणाली की घोषणा के समय कहा था, कि वह इन अधिकारियों से अपेक्षा करते हैं कि वे महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए प्रभावशाली पहल करेंगे। महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच में शीघ्रता के साथ गुणवत्ता को भी वरियता देंगे।
गुप्ता ने बताया कि पुलिस आयुक्त सिंह ने मुख्यमंत्री के इन निर्देशों के अनुपालन की विधिवत शुरुआत चार जून को की।
उन्होंने बताया कि इसके तहत पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) वृंदा शुक्ला और सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) श्रद्धा नरेंद्र पांडे को नियुक्त किया गया है। उन्होंने बताया कि इसके तहत प्रत्येक पुलिस स्टेशन में एक महिला सुरक्षा डेस्क और एक महिला इकाई का संचालन किया जाएगा।
गुप्ता ने बताया कि महिला डेस्क द्वारा ही पुलिस स्टेशन में आने वाली सभी महिलाओं और बच्चों की समस्याओं का सर्वप्रथम संज्ञान लिया जाएगा,जिससे महिलाओं व बच्चों को अपनी समस्याओं का साझा करने में कोई परेशानी और हिचक ना हो, समस्याओं का विषय के आधार पर निस्तारण की उचित प्रक्रिया शुरू की जा सके।
उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत महिला इकाई में दो उप-निरीक्षक, एक पुरुष और महिला (पुरुष और महिला कांस्टेबल के साथ उनकी मदद के लिए) शामिल होंगे जो विशेष रूप से महिलाओं के खिलाफ अपराधों के सभी मामलों की जांच करेंगे। जांचकर्ताओं के इस समर्पित कैडर को सामयिक, समय पर और सबूत आधारित जांच के लिए विशेष तौर पर प्रशिक्षित किया जाएगा।

गुप्ता ने बताया कि किसी भी जांच अधिकारी को प्रति वर्ष 40 से अधिक मामलों की जांच करने के लिए नहीं दिया जाएगा। गुणवत्ता के साथ ही समय पर जांच सुनिश्चित करने के लिए ही इस दृष्टिकोण को अपनाया गया है।
उन्होंने बताया कि एसीपी रैंक के अधिकारी को दहेज हत्या, एससी/एसटी समुदाय के सदस्यों के खिलाफ यौन अपराध की जांच करने की जिम्मेदारी होगी जबकि एसीपी महिला सुरक्षा को अनैतिक गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम के तहत अपराध, किसी भी अन्य जघन्य अपराधों द्वारा महिलाओं के खिलाफ सभी गंभीर अपराधों की जांच की जिम्मेदारी होगी।

उप- सूचना निदेशक ने बताया कि डीसीपी और एसीपी महिला सुरक्षा को महिलाओं के खिलाफ सभी तरह के अपराधों की बारीकी से निगरानी करने की जिम्मेदारी होगी।
उन्होंने बताया कि महिलाओं और बच्चों से संबंधित पूर्व-मौजूदा इकाइयों और सेवाओं जैसे कि महिला सहायता, मानव तस्करी निरोधी प्रकोष्ठ, विशेष पुलिस किशोर इकाई, 1090 आदि के निगरानी की जिम्मेदारी भी पुलिस उपायुक्त महिला सुरक्षा की होगी। महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए विभिन्न पहलों के बीच तालमेल बिठाने और पर्यवेक्षण का कार्य भी किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि नए मॉडल के तहत वैवाहिक विवाद के मामलों में पेशेवर परामर्श सेवाएं प्रदान करने के लिए नॉलेज पार्क पुलिस स्टेशन में एक पारिवारिक विवाद निवारण केंद्र की स्थापना की जा रही है। इसके साथ ही महिलाओं और बाल सुरक्षा के लिए मोबाइल गश्ती वाहनों का बेड़ा भी उपलब्ध कराया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि इस योजना का उद्देश्य पुलिस और बाल कल्याण समिति, किशोर न्याय बोर्ड, चिकित्सा प्राधिकरण, चाइल्डलाइन और महिलाओं और बच्चों के कल्याण के लिए काम करने वाले विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के बीच बेहतर तालमेल बनाना भी होगा।


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