गंगा की लहरों पर नाव में सवार होकर पूर्वांचल की सीटें साधने निकलीं प्रियंका

Edited By Ajay kumar,Updated: 18 Mar, 2019 03:12 PM

priyanka obtiene asientos puranchal en el barco en las olas de ganga

उत्तर प्रदेश की सियासत में पिछले 35 साल में कांग्रेस अपनी जमीन खो चुकी है। उसी खोयी हुयी जमीन को वापस पाने के उद्देश्य से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सोमवार को प्रयागराज से गंगा में नाव पर सवार होकर तीन दिन का दौरा शुरू किया।

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश की सियासत में पिछले 35 साल में कांग्रेस अपनी जमीन खो चुकी है। उसी खोयी हुयी जमीन को वापस पाने के उद्देश्य से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सोमवार को प्रयागराज से गंगा में नाव पर सवार होकर तीन दिन का दौरा शुरू किया। 

वाड्रा का पूरा फोकस पूर्वी उत्तर प्रदेश पर केन्द्रित है। वह परनाना पंडित जवाहर लाल नेहरू की संसदीय सीट फूलपुर को साधने के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में घेरने की कोशिश में हैं। इसी क्रम में उनका सोमवार से तीन दिवसीय कार्यक्रम प्रयागराज से जलमार्ग के रास्ते वाराणसी के लिए शुरू हुआ है। 
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इस दौरान प्रियंका चार लोकसभा सीटों फूलपुर, भदोही, मिर्जापुर और वाराणसी के मतदाताओं को साधने की हर संभव कोशिश करेंगी।  इलाहाबाद, फूलपुर और चायल तीनों लोकसभा सीटों पर कांग्रेस 1984 के बाद जीत के लिए तरस रही है। वर्ष 1984 में इन्दिरा गांधी की हत्या और राजीव गांधी के उदय के बाद हुए आठ आम चुनाव के दौरान प्रयागराज में कांग्रेस लगातार जनाधार खोती रही। 

उत्तर प्रदेश में 1988 में कांग्रेस की आखिरी सरकार के मुयमंत्री नारायण दत्त तिवारी रहे। उसके बाद से कांग्रेस फिर सत्ता में नहीं लौट सकी। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रियंका के हाथ पूर्वांचल की कमान सौंपकर रायबरेली और अमेठी की तरह यहां भी कांग्रेस करिश्मा होने की उम्मीद कर रही है। वर्ष 1984 के आम चुनाव राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने लड़ा था। फूलपुर से उस वक्त राम पूजन पटेल कांग्रेस के उम्मीदवार थे। उसके बाद इस सीट पर कांग्रेस का खाता कभी नहीं खुल सका।  

प्रदेश की राजनीति के जानकारों का मानना है कि वाड्रा जल मार्ग से भ्रमण कर पूर्वांचल को यह संदेश देना चाहती हैं कि वह उनके बीच की हैं और अपनी खोई विरासत हासिल करने आयी हैं। प्रियंका इस चुनावी यात्रा से सॉफ्ट हिन्दुत्व के साथ गंगा से प्रेम भी भी लोगों को दिखाना चाहती हैं। मां गंगा का साथ और बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद इस बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिलता है या नहीं यह तो समय बतायेगा लेकिन इस दांव ने भाजपा समेत सभी विपक्षी दलों में बेचैनी पैदा कर दी है।

राजनीति के जानकारों का यह भी मानना है कि कांग्रेस महासचिव जलमार्ग से वाराणसी तक 110 किलोमीटर का सफर करके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘‘नमामि गंगा प्रोजेक्ट’’ की हकीकत से रू-ब-रू होना चाहती हैं। वह गंगा की अविरलता और निर्मलता को चुनावी मुद्दा बना सकती हैं। प्रयागराज और वाराणसी के बीच वह कई गांवों और उपासना स्थलों में भी जायेंगी। वह इन क्षेत्रों में ग्रामीणों, कार्यकर्ताओं और बुनकरों से मुलाकात कर उनकी व्यथा और क्षेत्र की समस्याओं के बारे में जानकारी लेंगी।

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