सोनभद्र हिंसा मामले में ओछी राजनीति कर रही हैं प्रियंका, बहाने जा रही हैं घड़ियाली आंसू: दिनेश शर्मा

Edited By Ajay kumar,Updated: 20 Jul, 2019 09:11 AM

priyanka doing ominous politics in the violence case for sonbhadra dinesh

उत्तर प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य सोनभद्र के हिंसा प्रभावित क्षेत्र घोरावल जाने को अड़ी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा अपने कदम पीछे खींचने को तैयार नहीं है वहीं राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने आरोप लगाया...

लखनऊ/मिर्जापुर: उत्तर प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य सोनभद्र के हिंसा प्रभावित क्षेत्र घोरावल जाने को अड़ी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा अपने कदम पीछे खींचने को तैयार नहीं है वहीं राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने आरोप लगाया है कि विवाद की जन्मदाता और पोषक कांग्रेस इस संवेदनशील मामले में ओछी राजनीति कर रही है।  

वाड्रा ने कहा ‘‘सोनभद्र में मानवता शर्मसार हुयी है। मै पीडित परिवारों से जरूर मिलने जाऊंगी। वहां दस निर्दोष लोगों ने अपनी जान उस जमीन के लिये गंवायी है जिस पर उनकी पुश्तें हल चलाती आयी है। कांग्रेस उनको न्याय दिलाने और उनके आंसू पोंछने की हर मुमकिन कोशिश करेगी।''उन्होने कहा ‘‘मुझे अलोकतांत्रिक तरीके से जाने से रोका गया है। मैने प्रशासन से पूछा है कि उन्हे किस आधार पर रोका गया है और अगर वहां निषेधाज्ञा लागू है तो मै सिर्फ तीन लोगों के साथ जाने को तैयार हूं लेकिन अब तक वे मुझे उन दस्तावेजों को नहीं दिखा सके है जिसके आधार पर मुझे जाने से रोक रहे हैं। मैं पीड़ित परिवारों से मिले बगैर नहीं जाऊंगी। ''   

इस बीच लखनऊ में उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार की प्राथमिकता प्रभावित जिले में शांति व्यवस्था कायम रखने की है और इसी लिये वहां धारा 144 लागू की गयी है। कांग्रेस महासचिव को एसपीजी सुरक्षा दी गयी है। इस नाते राज्य सरकार का दायित्व उनको पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराना है। बगैर अनुमति जाने की जिद कांग्रेस की ओछी राजनीति का द्योतक है। '' उन्होने कहा ‘‘ श्रीमती वाड्रा पीड़ित परिवारों के समक्ष घड़ियाली आंसू बहाने आयी है। अच्छा होता कि वह उपजे विवाद के उन कारणों की तह पर जाती और एक जिम्मेदार और जवाबदेह दल का फर्ज निभाती। ''

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस जमीन के लिये खूनी संघर्ष हुआ, उसके विवाद की नींव 1955 में पड़ गयी थी जब ग्राम सभा की जमीन को 1985 में ट्रस्ट के नाम कर दिया गया था जबकि 1989 में इस जमीन को कुछ के नाम पर चढा कर दाखिल खारिज करा दिया गया। वर्ष 2017 में इन लोगों ने जमीन को व्यक्तिगत रूप से कुछ अन्य को बेच दिया और फिर इन लोगों ने आदिवासी किसानों पर दवाब बनाना शुरू किया। उन्होने कहा कि 1955 और 1985 से 1989 के बीच प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। मौजूदा सरकार ने इस पूरे घालमेल पर पर्दा उठाने के लिये अपर मुख्य सचिव राजस्व श्रीमती रेणुका कुमार के नेतृत्व में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है जो अपनी रिपोर्ट दस दिनो के भीतर सरकार को सौंपेगी। समिति के अन्य दो सदस्य श्रम विभाग के प्रमुख सचिव सुरेश चंद्रा और विंध्याचल मंडल के आयुक्त आनंद कुमार सिंह है।    

डाक्टर शर्मा ने कहा कि सरकार ने घटना में लापरवाही बरतने के आरोप में उप जिलाधिकारी, पुलिस उपाधीक्षक, निरीक्षक,उपनिरीक्षक और एक सिपाही को निलंबित कर दिया है। इसके अलावा घटना में पुलिस की भूमिका को जांचने के लिये अलग से एक सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस काज का जिम्मा वाराणसी के अपर पुलिस महानिदेशक को सौंपी गयी है।  उन्होने कहा कि सरकार ने घटना में मृत लोगों के परिजनों को पांच लाख रूपये और घायलों को 50 हजार रूपये की अनुग्रह राशि देने की अनुशंसा की है। उन्होने कहा कि इस सिलसिले में अब तक मुख्य आरोपी ग्राम प्रधान और उसके भाई समेत 29 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया गया है।

 

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