Edited By Anil Kapoor,Updated: 28 May, 2018 09:51 AM
कैराना लोकसभा सीट के उपचुनाव के लिए सोमवार को हो रहे मतदान में केवल दो ही बातों पर सारा ध्यान केंद्रित हो गया है। पहला, भीषण गर्मी और रमजान के महीने में मतदान का प्रतिशत कितना होगा। दूसरा, जाट मतदाता कितना भाजपा को मिलेगा और कितना विपक्ष की संयुक्त...
लखनऊ: कैराना लोकसभा सीट के उपचुनाव के लिए सोमवार को हो रहे मतदान में केवल दो ही बातों पर सारा ध्यान केंद्रित हो गया है। पहला, भीषण गर्मी और रमजान के महीने में मतदान का प्रतिशत कितना होगा। दूसरा, जाट मतदाता कितना भाजपा को मिलेगा और कितना विपक्ष की संयुक्त प्रत्याशी को। इसके बाद ही जीत हार का आकलन हो पाएगा। परिणाम 31 मई को आना है।
अगले साल होने वाले आम चुनावों से पहले ये किसी भी लोकसभा सीट का अंतिम उपचुनाव है। इसके बाद कोई उपचुनाव नहीं होगा। कोई सीट खाली होती है तो उसका मतदान आम चुनाव के साथ ही होगा। इस चुनाव के नतीजे को लेकर सबसे ज्यादा दबाव यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रालोद के अध्यक्ष चौ. अजित सिंह पर है।
योगी इससे पहले गोरखपुर व फूलपुर के उपचुनाव में मात खा चुके हैं और वही नतीजा दोबारा नहीं चाहेंगे। यही कारण है कि उन्होंने कैराना में प्रचार थमने से 2 दिन पहले की गई अपनी आखिरी रैली में तमाम पत्ते फेंकने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने ‘जिन्ना, गन्ना, मुजफ्फरनगर दंगा’ जैसे सारे तीर चलाए। योगी की रैली के बाद से भाजपा क्षेत्र में जोर शोर से प्रचारित कर रही है कि माहौल बदला है। अब हिंदू मतों (जाट व दलित मुख्य रूप से) का ध्रुवीकरण भाजपा की ओर हो सकता।